बिजौलिया-ललितपुर के बंधुओं की धर्म साधना सराहनीय है। जबलपुर व कोटा में श्रद्धालुओ ने धर्म पताका थाम रखी है। यह बात मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने शनिवार काे पार्श्वनाथ जैन तीर्थ अतिशय क्षेत्र में जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम में व्यक्त किए।
मुनि श्री ने कहा कि जीवन में बड़े संकट से बचने के लिए बड़ी धर्म साधना जरूरी होती है, लेकिन जीवन के प्रतिदिन के संकट का समाधान प्रतिदिन एक बार भक्तामर पाठ से हो जाता है। जो साधक प्रतिदिन एक बार भक्तामर पाठ करता है उसकी दैनिक परेशानियां चुटकी में दूर हो जाती है।
मुनि श्री ने कहा कि साधक को रोज एक बार हनुमान हाॅल जाकर भक्तामर पाठ करना चाहिए। धर्म के पथ पर निरंतर चलने वाले साधक को संकट के समय साधुओं के पास नहीं भटकना पड़ेगा।उन्होने जिज्ञासा समाधान सत्र में कहा कि जीवन की विशुद्धि के संपूर्ण सोपान पूर्ण कर साधक तीर्थंकर हो सकता है, लेकिन जीवन की थोड़ी भी अशुद्धि साधक की साधना में सबसे बड़ी रुकावट बनती है। एक साधिका द्वारा प्रश्न करने पर मुनि ने समाधान सुझाया कि स्त्री आर्यिका तो हो सकती है, लेकिन तीर्थंकर नहीं हो सकती।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
मुनि श्री ने कहा कि जीवन में बड़े संकट से बचने के लिए बड़ी धर्म साधना जरूरी होती है, लेकिन जीवन के प्रतिदिन के संकट का समाधान प्रतिदिन एक बार भक्तामर पाठ से हो जाता है। जो साधक प्रतिदिन एक बार भक्तामर पाठ करता है उसकी दैनिक परेशानियां चुटकी में दूर हो जाती है।
मुनि श्री ने कहा कि साधक को रोज एक बार हनुमान हाॅल जाकर भक्तामर पाठ करना चाहिए। धर्म के पथ पर निरंतर चलने वाले साधक को संकट के समय साधुओं के पास नहीं भटकना पड़ेगा।उन्होने जिज्ञासा समाधान सत्र में कहा कि जीवन की विशुद्धि के संपूर्ण सोपान पूर्ण कर साधक तीर्थंकर हो सकता है, लेकिन जीवन की थोड़ी भी अशुद्धि साधक की साधना में सबसे बड़ी रुकावट बनती है। एक साधिका द्वारा प्रश्न करने पर मुनि ने समाधान सुझाया कि स्त्री आर्यिका तो हो सकती है, लेकिन तीर्थंकर नहीं हो सकती।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी