खुरई- पर्युषण पर्व के पहले प्रवचन देते हुए मुनिश्री अभय सागरजी महाराज ने कहा कि जैन धर्म कर्म प्रधान धर्म है, जाे जैसे कर्म करता है उसकी परिणित वैसी हाेती है। अन्य जीव अच्छे कर्म करके मनुष्य याेनि, देव याेनि पा सकते हैं, वहीं मनुष्य याेनि में कर्माें काे बिगाड़ कर अन्य जीव याेनियाें में पहुंच जाते हैं। इसलिए भावाें,कर्मो काे संभालना बहुत जरूरी है। उन्हाेंने कहा कि पर्युषण के दस दिन आत्मा की शुद्धि के लिए हैं, संसार की सिद्धि के लिए नहीं, किसी राग-द्वेष की वृद्धि के लिए नहीं, अतएव भगवान की पूजा, उपासना, आराधना से अपने को सम्हालें, कषायों को शांत करें। ऐसे महान पर्व के अवसर पर आप अपने परमात्मा को स्पर्श न कर सकें तो समझ लो कि आपके हाथ पाप से इतने काले हैं कि दस दिन भी भगवान को नहीं छू पा रहे हों। उन्होंने कहा कि पर्व आए हैं उसकी पवित्रता से अपने आपको पवित्र कर लो। ये पर्व तो चले जाएंगे पर जाती हुई हर श्वांस तुम्हें संदेश देती है कि हम जा रहे हैं लेकिन तुम अपने आपको अपने स्वभाव से मत जाने देना। इस प्रसंग पर यह भी याद रखना कि धर्म केवल उपदेश में नहीं, धर्म तो आत्मा का स्वभाव है जिसे उत्तम क्षमादि दस धर्मों के धारण-पालन आचरण से ही अनुभव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी आत्मा को स्वतंत्र करने के लिए उत्तम क्षमादि दस लक्षण धर्मों की शरण में आकर रत्नत्रय की अनुभूति करें। उत्तम क्षमा सबके हृदय में हिलोरें ले और सबकी आत्मा रत्नत्रय की अनुभूति करते हुए निर्विकल्प समाधि के बल से वीतरागता को प्राप्त करे।
पर्वराज पर्यूषण में प्रतिदिन प्राचीन जैन मंदिर में मुनिसंघ के सानिध्य में सुबह 6.30 बजे श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, सामूहिक पूजन हाेगा। उसके बाद सुबह 8.30 बजे से धर्म पर प्रवचन हाेंगे।
दाेपहर में 2.30 बजे तत्वार्थ सूत्र का वाचन एवं अर्थ हाेगा। शाम काे संगीतमय आरती हाेगी, उसके बाद धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम हाेंगे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमण्डी
पर्वराज पर्यूषण में प्रतिदिन प्राचीन जैन मंदिर में मुनिसंघ के सानिध्य में सुबह 6.30 बजे श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, सामूहिक पूजन हाेगा। उसके बाद सुबह 8.30 बजे से धर्म पर प्रवचन हाेंगे।
दाेपहर में 2.30 बजे तत्वार्थ सूत्र का वाचन एवं अर्थ हाेगा। शाम काे संगीतमय आरती हाेगी, उसके बाद धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम हाेंगे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमण्डी