कांग्रेस विधायक रांठखेड़ा देंगे इस्तीफा..???



राजनीतिक हलचल-मध्यप्रदेश की राजनीति इस समय इतनी गरम है कि कोई भी इससे झुलसना नहीं चाहता,तभी तो भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही मुँह खोलने से बच रहे हैं, दोनो ही कई सवालों के जबावों को सीधे तौर पर देने से परहेज कर रहे हैं । सूबे की राजनीति में कांग्रेस अपने नए पीसीसी चीफ को लेकर ऊहापोह की स्थिति में, कांग्रेस आलाकमान का पसीना अपना नया कप्तान चुनने में छूट रहा है, दरअसल बात ये है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ हैं और वे वर्तमान में सूबे के मुख्यमंत्री भी,ऐसे में कांग्रेस अपना अध्यक्ष बदलना चाहती है इससे लिए दावेदारों की एक लंबी सूची है जिसमें गुना से हाल ही में लोकसभा चुनाव हारे कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे ऊपर है लेकिन दिग्गी और कमलनाथ की जोड़ी सिंधिया को अपने मंसूबे में ठीक उसी तरह कामयाब नहीं होने देना चाहती है जैसे कि उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से रोका था ।
हाल ही में खबर चली कि अध्यक्ष पद न मिलता देख सिंधिया खासे नाराज हैं और वे पार्टी को बाय-बाय कह सकते हैं, उधर लंबे समय से सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के कयास लगाये जा रहे हैं इसको लेकर भाजपा में सिंधिया के धुर विरोधी कहे जाने वाले नेताओं ने स्वागत के संकेत देकर बल दे दिया । सिंधिया के भाजपा जॉइन करने की खबर पर न तो भाजपा ने नकारा है और न ही सिंधिया ने स्वीकारा है ।
सिंधिया ने यदि कांग्रेस को अलविदा कहा तो अकेले सिंधिया ही नहीं बल्कि कांग्रेस की एक लंबी फौज होगी जो अपने महाराज के साथ कांग्रेस को अलविदा कहेगी,इसको लेकर कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने संकेत भी दिए । आज जब हमने शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा से वर्तमान विधायक सुरेश रांठखेड़ा से पूछा कि यदि सिंधिया कांग्रेस छोड़ते हैं तो आप क्या निर्णय लेंगे,के जबाव में रांठखेड़ा ने कहा कि हम महाराज के साथ हैं और यदि महाराज कांग्रेस छोड़ेंगे तो हम भी कांग्रेस से इस्तीफा दे देंगे । दूसरे सवाल कि, क्या सिंधिया जी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए, के जबाव में उन्होंने कहा कि सिंधिया की लोकप्रियता मध्यप्रदेश ही नहीं लेकिन पूरे देश में है, उनकी फैन फॉलोइंग बहुत है, उनकी लोकप्रियता और कर्मठता का ही प्रतिफल है कि आज सूबे में कांग्रेस की सरकार है । आपको बताते चलें कि सुरेश रांठखेड़ा सिंधिया गुट के कट्टर समर्थक माने जाते हैं और पहली बार विधायक बने हैं ।

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