कोटा-राणा प्रताप मीरा पन्नाधाय के* *तप त्याग और साधना की पावन* *वसुन्धरा राजस्थान में शिक्षण के लिए सम्पूर्ण भारत में सुविख्यात धर्मप्राण नगरी कोटा में*
श्री सकल दिगम्बर जैन समाज समिति की ओर से मुनि और आर्यिका संघों के सान्निध्य में सामूहिक क्षमावाणी पर्व रविवार को मल्टीपरपज स्कूल प्रांगण पर आयोजित किया गया तो चारों ओर ‘उत्तम क्षमा- उत्तम क्षमा’ की गूंज सुनाई देने लगी। हर कोई एक दूसरे से क्षमा की याचना कर रहा था, छोटी उम्र के लोग अपने से बडों के पैर छू रहे थे तो बराबर वाले गले मिलकर एक दूसरे से क्षमा की प्रार्थना कर रहे थे।* महिला, पुरूष, बच्चे, बूढे हर कोई क्षमा धर्म का पालन करने को उद्यत नजर आ रहा था। इस दौरान मुनि विनीत सागर महाराज, चन्द्रप्रभ सागर महाराज, आर्यिका एवं कीर्तिश्री माताजी संघ और आर्यिका सुयोग्यनन्दिनी माताजी उपस्थित रहे। *समारोह में 50 से अधिक प्रतिभाओं और 10 उपवास करने वाले 27 समाजबंधुओं का भाव भीना अभिनंदन कर सम्मानित किया गया।*
श्री सकल दिगम्बर जैन समाज समिति की ओर से मुनि और आर्यिका संघों के सान्निध्य में सामूहिक क्षमावाणी पर्व रविवार को मल्टीपरपज स्कूल प्रांगण पर आयोजित किया गया तो चारों ओर ‘उत्तम क्षमा- उत्तम क्षमा’ की गूंज सुनाई देने लगी। हर कोई एक दूसरे से क्षमा की याचना कर रहा था, छोटी उम्र के लोग अपने से बडों के पैर छू रहे थे तो बराबर वाले गले मिलकर एक दूसरे से क्षमा की प्रार्थना कर रहे थे।* महिला, पुरूष, बच्चे, बूढे हर कोई क्षमा धर्म का पालन करने को उद्यत नजर आ रहा था। इस दौरान मुनि विनीत सागर महाराज, चन्द्रप्रभ सागर महाराज, आर्यिका एवं कीर्तिश्री माताजी संघ और आर्यिका सुयोग्यनन्दिनी माताजी उपस्थित रहे। *समारोह में 50 से अधिक प्रतिभाओं और 10 उपवास करने वाले 27 समाजबंधुओं का भाव भीना अभिनंदन कर सम्मानित किया गया।*
श्रीजी की भव्य शोभायात्रा श्री दिगम्बर जैन मंदिर शाॅपिंग सेंटर से निकाली गई। जो विभिन्न मार्गों से होते हुए मल्टीपरपज स्कूल प्रांगण पर पहुंची। इस दौरान महिलाएं केसरिया साड़ी में तथा पुरूष श्वेत परिवेश में नाचते गाते हुए साथ चल रहे थे। इस दौरान श्रीजी के जयकारों से आसमान गुंजायमान हो रहा था। मल्टीपरपज स्थित मुख्य समारोह के प्रांगण पर पहुंचने के बाद श्रीजी का पूजन, अभिषेक, शांतिधारा के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
समारोह में विधायक संदीप शर्मा, महापौर महेश विजय, जिला कलैक्टर मुक्तानद अग्रवाल, नागरिक सहकारी बैंक के चैयरमेन राजेश बिरला, आरएसी के डिप्टी कमाण्डेंट पवन जैन, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव पंकज मेहता, पूर्व विधायक हीरालाल नागर, पूर्व न्यास चैयरमेन रविन्द त्यागी, जफर मोहम्मद अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। राष्ट्रीय जैन माइनॉरिटी के अध्यक्ष नवीन मेहता तथा महामंत्री नीता डांगी ने बताया कि अल्पसंख्यक कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए समारोह स्थल पर शिविर का आयोजन गया था। जिसका उद्घाटन राष्ट्रीय जैन माइनॉरिटी के संगठन मंत्री प्रकाश जैन दीपपुरा ने किया। शिविर के दौरान लोगों को अल्पसंख्यक योजनाओं और उनसे संबंधित समस्याओं के निदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस दौरानरक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया।
पंचम काल मे चतुर्थ काल की चर्या साधक विनीत सागर महाराज ने कहा कि अंतरंग कलुषिता को दूर करने से ही क्षमावाणी सफल हो सकती है। क्षमा को आत्मा से स्वीकार किया जाना चाहिए। क्षमा संसार का सर्वाधिक महान गुण है। इसको धारण करने वालों में महानता स्वतः ही आ जाती है। क्षमा धर्म को वर्ष भर धारण करने वाला व्यक्ति वैरागी होता है। क्षमा अन्तरंग तप है, शेष बाह्य । कार्यक्रम केवल ‘मैं’ की तुष्टि के लिए ही किए जाते हैं। जिला कलैक्टर मुक्तानन्द अग्रवाल ने कहा कि क्षमावाणी पर्व जैन समाज की अनूठी परंपरा है। जो हमें विनम्रता का भाव सिखाती है। कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं हो सकता है, सबमें कोई न कोई त्रुटि होती है। इससे बचने के लिए क्षमा का भाव मन में होना चाहिए। इससे पहले चित्र अनावरण गुलाबचन्द जैन धनोप्या, रमेशचन्द दोराया, राजेश बरमुण्डा ने किया। आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी द्वारा रचित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर शनिवार रात को देवलोकगमन कर गए आचार्य विद्यानंद महाराज को श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम में सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नान्ता, महामंत्री विनोद जैन टोरड़ी, कार्याध्यक्ष जेके जैन, पूर्व अध्यक्ष राजमल पाटौदी, राकेश मडिया, विकास अजमेरा, प्रकाश जैन दीपपुरा, ताराचंद बरला, पद्म पाटौदी, त्रिलोकचन्द मडिया, संजय निर्माण, अनिल ठौरा, दीपक जैन डीसीएम, पारसमल जैन सीए, प्रकाश बज, निशा बैद, विजय दुगेरिया, उषा बाकलीवाल, तारादेवी, पुष्पा जैन, राजेन्द्र गोधा, राजमल हरसौरा, शिखर पाटौदी, मोहनलाल जैन, महावीर कोठारी, महावीर जैन, निर्मला बज, शिमला जैन, धर्मचंद काला, नरेश बैद, बाबूलाल जैन, दीपक नान्ता, नवीन दोराया, पारस लूंग्या, मनोज टोंग्या, कपिल आगम, जम्बू कुमार जैन, मनोज सेठी, कैलाश जेठानीवाल, पवन ठोला, पारस जैन, ओम प्रकाश अग्रवाल, हेमंत डूंगरवाल, आशीष टोंग्या, राहुल ऐरन, सुनील डूंगरवाल, रमेशचन्द्र रैबारपुरा, महावीर पाटनी, मोहनलाल सेठी, ललित लूंग्या समेत कईं श्रावक श्राविकाएं मौजूद रहे।
समारोह में विधायक संदीप शर्मा, महापौर महेश विजय, जिला कलैक्टर मुक्तानद अग्रवाल, नागरिक सहकारी बैंक के चैयरमेन राजेश बिरला, आरएसी के डिप्टी कमाण्डेंट पवन जैन, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव पंकज मेहता, पूर्व विधायक हीरालाल नागर, पूर्व न्यास चैयरमेन रविन्द त्यागी, जफर मोहम्मद अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। राष्ट्रीय जैन माइनॉरिटी के अध्यक्ष नवीन मेहता तथा महामंत्री नीता डांगी ने बताया कि अल्पसंख्यक कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए समारोह स्थल पर शिविर का आयोजन गया था। जिसका उद्घाटन राष्ट्रीय जैन माइनॉरिटी के संगठन मंत्री प्रकाश जैन दीपपुरा ने किया। शिविर के दौरान लोगों को अल्पसंख्यक योजनाओं और उनसे संबंधित समस्याओं के निदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस दौरानरक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया।
पंचम काल मे चतुर्थ काल की चर्या साधक विनीत सागर महाराज ने कहा कि अंतरंग कलुषिता को दूर करने से ही क्षमावाणी सफल हो सकती है। क्षमा को आत्मा से स्वीकार किया जाना चाहिए। क्षमा संसार का सर्वाधिक महान गुण है। इसको धारण करने वालों में महानता स्वतः ही आ जाती है। क्षमा धर्म को वर्ष भर धारण करने वाला व्यक्ति वैरागी होता है। क्षमा अन्तरंग तप है, शेष बाह्य । कार्यक्रम केवल ‘मैं’ की तुष्टि के लिए ही किए जाते हैं। जिला कलैक्टर मुक्तानन्द अग्रवाल ने कहा कि क्षमावाणी पर्व जैन समाज की अनूठी परंपरा है। जो हमें विनम्रता का भाव सिखाती है। कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं हो सकता है, सबमें कोई न कोई त्रुटि होती है। इससे बचने के लिए क्षमा का भाव मन में होना चाहिए। इससे पहले चित्र अनावरण गुलाबचन्द जैन धनोप्या, रमेशचन्द दोराया, राजेश बरमुण्डा ने किया। आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी द्वारा रचित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर शनिवार रात को देवलोकगमन कर गए आचार्य विद्यानंद महाराज को श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम में सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नान्ता, महामंत्री विनोद जैन टोरड़ी, कार्याध्यक्ष जेके जैन, पूर्व अध्यक्ष राजमल पाटौदी, राकेश मडिया, विकास अजमेरा, प्रकाश जैन दीपपुरा, ताराचंद बरला, पद्म पाटौदी, त्रिलोकचन्द मडिया, संजय निर्माण, अनिल ठौरा, दीपक जैन डीसीएम, पारसमल जैन सीए, प्रकाश बज, निशा बैद, विजय दुगेरिया, उषा बाकलीवाल, तारादेवी, पुष्पा जैन, राजेन्द्र गोधा, राजमल हरसौरा, शिखर पाटौदी, मोहनलाल जैन, महावीर कोठारी, महावीर जैन, निर्मला बज, शिमला जैन, धर्मचंद काला, नरेश बैद, बाबूलाल जैन, दीपक नान्ता, नवीन दोराया, पारस लूंग्या, मनोज टोंग्या, कपिल आगम, जम्बू कुमार जैन, मनोज सेठी, कैलाश जेठानीवाल, पवन ठोला, पारस जैन, ओम प्रकाश अग्रवाल, हेमंत डूंगरवाल, आशीष टोंग्या, राहुल ऐरन, सुनील डूंगरवाल, रमेशचन्द्र रैबारपुरा, महावीर पाटनी, मोहनलाल सेठी, ललित लूंग्या समेत कईं श्रावक श्राविकाएं मौजूद रहे।
क्षमा मांगने से अधिक महत्वपूर्ण है क्षमा करना
धर्मसभा को संबोधित करते हुए परम पूज्य मुनि श्री चन्द्रप्रभ सागर महाराज ने कहा कि यदि ऊपर मुस्कुराहट और अंदर कपट है तो ‘उत्तम क्षमा’ नहीं होती है। क्षमा मांगने से अधिक महत्वपूर्ण है, क्षमा करना। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति गलती नहीं करता वह भगवान होता है, जो गलती को मान लेता है वह इंसान होता है, जो गलती को जात ही नहीं, वह नादान होता है, लेकिन जो बार बार गलती करके भी नहीं मानता, वह शैतान होता है। आर्यिका कीर्तिश्री माताजी ने कहा कि क्षमा अन्तरंग से होती है। आर्यिका सुयोग्यनन्दिनी माताजी ने कहा कि दुनिया के हर मत पंथ सम्प्रदाय में क्षमा को महत्वपूर्ण गुण माना है। क्षमा मांगने से मन का वैमनस्य समाप्त हो जाता है। क्षमा आत्मा का धर्म है। इसके लिए कोई दिन तय नहीं है। अध्यक्ष विमल जैन नान्ता ने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।
*राष्ट्रीय संवाद दाता पारस जैन "*पार्श्वमनी" पत्रकार कोटा (राज)*
धर्मसभा को संबोधित करते हुए परम पूज्य मुनि श्री चन्द्रप्रभ सागर महाराज ने कहा कि यदि ऊपर मुस्कुराहट और अंदर कपट है तो ‘उत्तम क्षमा’ नहीं होती है। क्षमा मांगने से अधिक महत्वपूर्ण है, क्षमा करना। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति गलती नहीं करता वह भगवान होता है, जो गलती को मान लेता है वह इंसान होता है, जो गलती को जात ही नहीं, वह नादान होता है, लेकिन जो बार बार गलती करके भी नहीं मानता, वह शैतान होता है। आर्यिका कीर्तिश्री माताजी ने कहा कि क्षमा अन्तरंग से होती है। आर्यिका सुयोग्यनन्दिनी माताजी ने कहा कि दुनिया के हर मत पंथ सम्प्रदाय में क्षमा को महत्वपूर्ण गुण माना है। क्षमा मांगने से मन का वैमनस्य समाप्त हो जाता है। क्षमा आत्मा का धर्म है। इसके लिए कोई दिन तय नहीं है। अध्यक्ष विमल जैन नान्ता ने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।
*राष्ट्रीय संवाद दाता पारस जैन "*पार्श्वमनी" पत्रकार कोटा (राज)*

