भोपाल-चित्त में चिंता भी होती है और चिंतन भी होता है। चिंता में आकूलता और चिंतन में निराकूलता होती है। यह विचार सोमवार को चौक जैन धर्मशाला में मुनिश्री शैल सागर जी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि चेतन को सुंदर बनाओ। तन और चेतन का संबंध संसार में दूध और पानी की तरह है, लेकिन दोनों का स्वभाव अलग-अलग है। इसलिए हम तन में रहकर चेतन का ध्यान करें।
प्रथम धारा का आयोजन 6 अक्टूबर को
मुनिश्री प्रसाद सागरजी महाराज, मुनिश्री शैल सागर जी और मुनिश्री निकलंक सागर जी महाराज के सान्निध्य में उपनयन संस्कार के तहत प्रथम धारा का आयोजन 6 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन भगवान शीतलनाथ का मोक्ष कल्याणक भी है। जवाहर चोक जैन मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में 8 से 16 वर्ष तक के बालकों को उपनयन संस्कारों से मुनिसंघ संस्कारित करेंगे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

