कुंडलपुर -जैन धर्म के सबसे वयोवृद्ध सिद्धांत चक्रवर्ती आचार्य विद्यानंद जी महाराज के समाधि पूर्वक देवलोक गमन पर कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के द्वारा निर्यापक मुनिश्री समय सागरजी महाराज की ससंघ मंगल उपस्थिति में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर सुनील वेजिटेरियन ने बताया की आचार्य विद्यानंद महाराज विद्या के अतुल भंडार थे, जिन्होंने अपने जीवन में जैन धर्म के गूढ़ ग्रंथों का गहराई से अध्ययन कर अनेक शास्त्रों की रचना की और जैन धर्म की कीर्ति पताका को फहराने में अपना अमूल्य योगदान प्रदान किया। वे जैन धर्म के सर्वश्रेष्ठ आचार्यों में से एक थे। कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई ने अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने मां जिनवाणी की अतुलनीय सेवा की है, वे शास्त्रों के ज्ञाता थे। उन्होंने अनेक शास्त्रों की रचना कर जैन धर्म के मानने वालों पर महान उपकार किया है। उन्हें कभी भी विस्मृत नहीं किया जा सकता। सभा के अंत में सभी ने 2 मिनट मौन धारण कर णमोकार मंत्र का स्मरण करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी उपस्थिति रही।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
इस अवसर पर सुनील वेजिटेरियन ने बताया की आचार्य विद्यानंद महाराज विद्या के अतुल भंडार थे, जिन्होंने अपने जीवन में जैन धर्म के गूढ़ ग्रंथों का गहराई से अध्ययन कर अनेक शास्त्रों की रचना की और जैन धर्म की कीर्ति पताका को फहराने में अपना अमूल्य योगदान प्रदान किया। वे जैन धर्म के सर्वश्रेष्ठ आचार्यों में से एक थे। कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई ने अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने मां जिनवाणी की अतुलनीय सेवा की है, वे शास्त्रों के ज्ञाता थे। उन्होंने अनेक शास्त्रों की रचना कर जैन धर्म के मानने वालों पर महान उपकार किया है। उन्हें कभी भी विस्मृत नहीं किया जा सकता। सभा के अंत में सभी ने 2 मिनट मौन धारण कर णमोकार मंत्र का स्मरण करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी उपस्थिति रही।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

