वृद्धाश्रमों का बढ़ना और बुजुर्गों के प्रति असम्मान चिंताजनक : आचार्य



सागवाड़ा-आचार्य सुनील सागर जी  महाराज ने सोमवार को ऋषभ वाटिका स्थित सन्मति समवशरण सभागार में प्रवचन में कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में धर्म एवं परंपराओं में श्राद्ध का अपना महत्व होता है। जहां श्रद्धा होती है वहां श्राद्ध होता है और श्रद्धा से ही श्राद्ध की परंपरा का निर्वाह किया जाता है।
सांसारिक जीवन में विदा हो चुके माता-पिता और पुरखों के लिए श्राद्ध समर्पण के भाव को दर्शाता है। आचार्य ने कहा कि देश भर में निरंतर वृद्धाश्रमों का बढऩा और बुजुर्गों के प्रति असम्मान के भाव देखने को मिलते हैं जो गंभीर चिंता का विषय है। यहां तक की मां बाप के साथ बदसलूकी और दुव्र्यवहार करने वाले उनके मरण पर गंगाजी तक पहुंचकर पिंडदान और क्रिया कर्म का जो कथित नाटक और दिखावा करते हैं वह शर्मनाक है।  समाज सेठ दिलीप कुमार नोगमिया ने बताया कि निजी संस्थान के संचालक विपिन पंड्या ने लोहारिया सरोवर में प्रस्तावित पावापुरी नवनिर्माण के लिए 21 हज़ार रुपए का आर्थिक सहयोग दिया। दो अक्टूबर को आचार्य संघ के सानिध्य में महात्मा गांधी जयंती पर सन्मति समवशरण सभागार में विचार गोष्ठी होगी। संचालन नरेंद्र खोडनिया ने किया।
     संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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