अलवर-कराैली कुंड के पास स्थित जैन नसिया में साेमवार काे जैनेश्वरी दीक्षा कार्यक्रम आचार्य विनम्र सागर जी महाराज के सानिध्य में आयोजित हुआ। इस दौरान विनम्र सागर जी महाराज ने ऐलक विनुत सागर,जी क्षुल्लक विश्वकुंद सागर, जी ब्रह्मचारी दीपक भैया व ब्रह्मचारी सराेज दीदी को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान की। इससे पहले महावीर भवन से शाेभायात्रा निकाली गई। यह शाेभायात्रा मुख्य मार्गों से होती हुई जैन नसिया पहुंची। दीक्षा के बाद ऐलक विनुत सागर,जी दिगंबर मुनि विनुत सागरजी महाराज हाे गए। क्षुल्लक विश्वकुुंद सागर जी महाराज,ऐलक विश्वकुंद सागर बने। ब्रह्मचारी दीपक भैया काे ऐलक विप्रव सागर जी नाम मिला। ब्रह्मचारी सराेज दीदी काे क्षुल्लिका माता विराज श्री माताजी नाम दिया गया। इस दौरान पूर्व मंत्री डॉ. जसवंत यादव, शहर विधायक संजय शर्मा भी मौजूद थे।
इससे पूर्व सभी ने विनम्र सागर महाराज से दीक्षा के लिए प्रार्थना की। ऐलक के रूप में विनुत सागर जी महाराज ने अपने गुरु से निवेदन किया कि उनके प्राण भले ही चले जाएं पर प्रण कभी नहीं जाएगा। वे भगवान महावीर के वचनाें का पालन करेंगे। गुरु से दीक्षा के लिए प्रार्थना करने का यह दृश्य वहां माैजूद श्रद्धालुओं के दिलाें काे छूने वाला था। इसके बाद अन्य ने दीक्षा के लिए प्रार्थना की। दीक्षा से पूर्व दीप प्रज्वलन, मंगलाचरण, पाद प्रक्षालन, चित्र अनावरण, शास्त्र भेंट आदि के कार्यक्रम हुए। आचार्य श्री विनम्र सागर जी महाराज ने दीक्षार्थियों का दीक्षाभिषेक, शक्ति पाद, केशलोंच की क्रियाएं कराई। इसके बाद दीक्षार्थियों ने अपने वस्त्रों का त्याग करते हुए वैराग्य धारण किया।
इच्छा व कषायों का शमन करना ही दीक्षा हैआचार्य विनम्र सागर जी
इस अवसर पर आचार्य विनम्र सागर जी महाराज ने कहा कि इच्छा व कषायों का शमन करना ही दीक्षा है। जैनेश्वरी दीक्षा लेना और देना आसान काम नहीं है। दीक्षा के बाद संत जीवन की पालना कठिन है। जो भी दीक्षार्थी दीक्षा लेता है, उसे संभालने की जिम्मेदारी गुरू की होती है। मैं भी अपने गुरु के आदेश पर ये दीक्षा प्रदान कर रहा हूं। कार्यक्रम में तिजारा, मध्यप्रदेश के भिंड, फिरोजाबाद, ग्वालियर आदि स्थानों से श्रद्धालु आए।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
इससे पूर्व सभी ने विनम्र सागर महाराज से दीक्षा के लिए प्रार्थना की। ऐलक के रूप में विनुत सागर जी महाराज ने अपने गुरु से निवेदन किया कि उनके प्राण भले ही चले जाएं पर प्रण कभी नहीं जाएगा। वे भगवान महावीर के वचनाें का पालन करेंगे। गुरु से दीक्षा के लिए प्रार्थना करने का यह दृश्य वहां माैजूद श्रद्धालुओं के दिलाें काे छूने वाला था। इसके बाद अन्य ने दीक्षा के लिए प्रार्थना की। दीक्षा से पूर्व दीप प्रज्वलन, मंगलाचरण, पाद प्रक्षालन, चित्र अनावरण, शास्त्र भेंट आदि के कार्यक्रम हुए। आचार्य श्री विनम्र सागर जी महाराज ने दीक्षार्थियों का दीक्षाभिषेक, शक्ति पाद, केशलोंच की क्रियाएं कराई। इसके बाद दीक्षार्थियों ने अपने वस्त्रों का त्याग करते हुए वैराग्य धारण किया।
इच्छा व कषायों का शमन करना ही दीक्षा हैआचार्य विनम्र सागर जी
इस अवसर पर आचार्य विनम्र सागर जी महाराज ने कहा कि इच्छा व कषायों का शमन करना ही दीक्षा है। जैनेश्वरी दीक्षा लेना और देना आसान काम नहीं है। दीक्षा के बाद संत जीवन की पालना कठिन है। जो भी दीक्षार्थी दीक्षा लेता है, उसे संभालने की जिम्मेदारी गुरू की होती है। मैं भी अपने गुरु के आदेश पर ये दीक्षा प्रदान कर रहा हूं। कार्यक्रम में तिजारा, मध्यप्रदेश के भिंड, फिरोजाबाद, ग्वालियर आदि स्थानों से श्रद्धालु आए।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

