हम प्रकृति में जीये विकृति में नही क्योंकि प्रकृति परमात्मा की देन है और विकृति मानव की देन है




कोटा-जब मानव प्रकृति में जीता है तो संस्कृति आती है संस्कार आती  है तो  जीवन का हर दिन त्यौहार बन जाता है। प्रकृति परमात्मा की देन है और  विकृति  मानव की देन है।आज मानव की जीवन शैली विकृति की ओर ज्यादा जा रही है । खान पान से लेकर आचार विचार सब समय के अनुरूप सब बदल रहा है। प्रकृति उत्थान उन्नति की ओर ले जाती है  और विकृति विनाश  व  पतन की ओर ले जाती  है । प्रकृति और  परमात्मा द्वारा हमे अनमोल उपहार दिए गए है । हम उसका सवर्धन करने की जगह उसका विनाश कर रहे है। जब जब भी हमने प्रकृति और परमात्मा से प्राप्त अनमोल उपहारों के साथ  खिलवाड़  अनाचार , पापाचार, हत्याचार किया तब तब इस  वसुन्धरा पर सुनामी ,अतिव्रष्टि ,अनावष्टि, आकाल ,भुखमरी,  महामारी  इत्यादी प्राकृतिक आपदाएं आई है। आज  शासन और ""प्रशासन पॉलीथिन हटाओ पर्यावरण बचाओ "" पर विशेष जोर दे रहा है। कोटा का दशहरा मेला पॉलीथिन मुक्त करने का बीड़ा हम सबको कदम से कदम मिलकर सफल करना चाहिये।  पहले दशहरा मेला फिर कोटा नगर फिर राजस्थान उसके बाद फिर पूरा भारत पॉलीथिन मुक्त हो। यही संकल्प सबका हो।*
*प्रस्तुति*
*राष्ट्रीय संवाद दाता*
*पारस जैन "पार्श्वमणि"पत्रकार*
*कोटा (राज)*
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