इंदौर-आप लोग जिस उद्देश्य को लेकर जिन-जिन अष्ट मंगल द्रव्य क्रम में चढ़ाते हैं, उस ओर दृष्टि डालें। नैवेद्य क्यों चढ़ाया जा रहा है और कहां चढ़ाया जा रहा है। यह बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए नैवेद्य एक प्रकार से विषय है। आप पूजा तो रोज करते हो, संगीत के साथ भी करते हैं, पर पूजा के भाव को नहीं पकड़ पाते हो। पूजन को उसके अर्थ के साथ पढ़ो तो गद-गद हो जाओगे। यह बात आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने तिलक नगर में सोमवार को प्रवचन में कही।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
