जन्म से ही धार्मिक संस्कारो का प्रस्फुटन सिद्धा मे रहा उनका जन्म का नाम सिद्धा पंचोलिया रहा आपका जन्म पोष बदी ग्यारस 3 जनवरी 1989 मालवा की धर्मप्राण नगरी सनावद मे हुआ आपके पिता श्री राजेश पंचोलिया है जो धर्मनिष्ट व्यक्तित्व है वही माता श्रीमती संगीता पंचोलिया के संस्कारो का प्रस्फुटन आपको मिला आपने लौकिक शिक्षा एमएससी और आई टी किया आपकी अंग्रेजी भाषा पर भी अच्छी पकड़ है आपका मन संसार के परिवेश में नही रहा आप यथा नाम तथा गुण की प्रप्ति का उद्देश्य सिद्धत्व की प्राप्ति के लिये अपने दादा जो चारित्र सागर जी महाराज हुए उनके संस्कारो की छाव तले आपने वर्ष 2012 वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज जी से वर्ष 2012 मे आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत पपौरा जी मे ग्रहण किया और साधना की और अग्रसर होती चली गयी आप साधना मे निरन्तर अग्रसर होती चली गयी और धर्म की महती प्रभावना करती रही और वर्ष 2018 25 अप्रैल को आपको नारी का सर्वोत्कृष्ट पद वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज द्वारा श्रवणबेलगोला मे आर्यिका दीक्षा प्रदान की गयी और उन्हे महायशमती माताजी नाम दिया गया यह अद्धभुत संयोग ही कहा जायेगा जो नामकरण उन्हे दिया गया वह भगवान के 1008 नामो में से एक है यह पंचोलिया परिवार मे 6 वी दीक्षा हुयी धन्य है ऐसी निष्प्रह साधिका अवतरण दिवस पर यही कामना करता हु आपका संयम आपका रत्नत्रय महायश को प्राप्त करे
शत शत वन्दामि
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमण्डी