बांसवाड़ा-बाहुबली कॉलोनी स्थित सन्मति समवशरण में आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने प्रवचन किए। उपस्थित श्रद्धालुओं को उपदेश देते हुए कहा कि व्यक्ति के अच्छे कर्म ही उसके साथ जाएंगे। घर परिवार मरघट तक जाएंगे और अस्थियां तक घर वापस नहीं लाएंगे। थोड़ा सा विचार करें तो यह जग एक मेला है, जहां से सबको एक दिन जाना है। चाहे कितना बड़ा ही राजा महाराजा आए, जन्म लिया लेकिन वह भी मौत के आगे अपना जोर चला नहीं पाए। ऐसा चिंतन करने से चेतना जागृत होती है। हम लोग जीवन व्यापन करते-करते भेदभाव तो खूब कर लेते हैं। अब थोड़ा भेद विज्ञान भी कर ले। अच्छे बुरे का भेदभाव करते-करते कहीं जन्म बीत गए, लेकिन एक बार भी भेद विज्ञान कर लेते तो सुख का मार्ग प्रशस्त हो जाता। भेदभाव करने वाला व्यक्ति दुखी होता रहता है। जिससे उसे संकलेश्ता ही हाथ लगती है। जबकि ज्ञान पूर्वक भेद विज्ञान से हर परिस्थिति में आनंद बना रहता है। जीवन है जीवन ऊपर नीचे चलता रहता है। लेकिन धर्मात्मा ज्ञानी पुरुष सुख में फूलता नहीं, तो दुख में कुढ़ता भी नहीं है।भेद विज्ञान करना यानी चिंतन की धारा से अपने ज्ञान के द्वारा वास्तविकता को जानना है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी