आचार्य श्री विराग सागर जी महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य राष्ट्रयोगी श्रमनाचार्य श्री विमर्श सागर* जी महामुनिराज की संघस्थ पूज्य *आर्यिका विहान्त* श्री माता जी (पूज्य आचार्य श्री *विमर्श सागर जी* महामुनिराज की *गृहस्थ अवस्था* की *माँ* ) ने दिनांक 29-3-20 को सास्वत *तीर्थ श्री अयोध्या* जी मे पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में 12 वर्षीय सल्लेखना का महान व्रत धारण किया था। चारो प्रकार के आहार आदि का क्रमशः त्याग करते हुए दिनांक 31-3-20 को दोपहर 2:45 पर पूज्य आचार्य श्री द्वारा उत्तम संबोधन को प्राप्त कर चतुर्विध संघ के सानिध्य में णमोकार मंत्र का उच्चारण करते हुए उत्तम *समाधि* को साधा।इस अवसर पर पूज्य *आचार्य श्री सुबल सागर* जी महाराज ससंघ भी उपस्थित रहे।
*दो आचार्य* - *14 मुनिराज*- *9 आर्यिका* -*2 क्षुल्लिका* ओर *1 ऐलक* *3 क्षुल्लक* *12 त्यागिवृति एवं अन्य गृहस्थ श्रावक उपास्थित रहे।*
*संकलन :- पारस जैन " पार्श्वमणि " कोटा (राज)*