हम अपने घर में रहकर सत्य अहिंसा की आराधना करें

 चँदेरी-आचार्य श्री  विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनिश्री निर्णयसागर जी एवं मुनिश्री पदमसागरजी, ऐलक श्री  क्षीरसागर जी महाराज ससंघ श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पुराना मंदिर में विराजमान है। शहर में विराजमान मुनिश्री निर्णयसागर जी महाराज ने मंदिर में समाजजनों को संदेश देते हुए कहा कि वह शासन द्वारा लागू किए गए निर्णयों का पालन करें।
मुनिश्री ने कहा कि भारत में अनादिकाल से लोग धर्म की आराधना करते रहे हैं। अहिंसा और सत्य में विश्वास रखते हैं। इसलिए आज कोरोना महामारी के समय में लोगों को शासन प्रशासन के साथ कदम से कदम मिलाकर सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना का अर्थ को- कोई, रो- रोए, ना- ना है। आज के इस भयानक माहौल में भी हमें रोने, डरने की आवश्यकता नहीं है।
हमको अपने घर में रहकर ही अहिंसा, सत्य की आराधना करना चाहिए। यदि हमारे कारण कोई व्यक्ति कोरोना ग्रस्त होता हैं तो यह अहिंसा नहीं हिंसा का कारण होगा। यदि व्यक्ति हमारे शासन द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करने से गलत शिक्षा लेगा तो हम अहिंसा, सत्य के आराधक नहीं कहलाएंगे। न ही महावीर भगवान के अनुयायी होंगे। एक अच्छा और सच्चा धर्म शासन, प्रशासन के नियमों का पूर्णतः पालन करने का उपदेश देता हैं। मुनि श्री ने यह भी कहा कि भारतीय परम्परा में “अतिथि देवो भव “ का बड़ा महत्व हैं. इसलिए कोई भी भूखा, प्यासा, परेशान व्यक्ति मिलता हैं उसे पूरी निष्ठा से सम्मानपूर्वक भोजन पानी का प्रबंध करना चाहिए और उसे कोरोना की भयानक विपरीत परिस्थिति से लड़ने का संबल प्रदान करना चाहिए।
पूज्य मुनि श्री ने कहा कि चंदेरी में कुछ संस्थाओं एवं युवाओं द्वारा जनसेवा के बहुत ही सराहनीय कार्य किए जा रहा हैं। उन सभी को साधुवाद।
             संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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