भारतीय संस्कृति और उसके मूल्य हुए तार-तार

पारस जैन " पार्श्वमणि" पत्रकार कोटा (राज)-भारत माँ की पावन वसुंधरा पर  ऋषि संन्तो त्यागी व्रतियों भगवान राम, कृष्ण, महावीर, बुध्द जैसे दिव्य  महान अवतारी पुरुष रहें  है । यहाँ की संस्कृति अहिंसा प्रधान है। सम्पूर्ण विश्व मे भारत वर्ष को बड़ी श्रद्धा से माता की पवित्र नजरों से देखा जाता है।* *हमारी पूर्व की संस्कृति पूजनीय वंदनीय अभिनंदनीय  है । अभी हाल ही में महाराष्ट्र के पालघर में दो सनातन धर्म के साधुओं को असामाजिक तत्वों द्वारा लाठियों से पीट-पीटकर उनकी निर्मम हत्या कर दी।  यह इन साधु-संतों की  निर्मम हत्या हमारी संस्कृति और समाज पर एक बहुत बड़ा कुठाराघात है  यह हमारे समाज की बहुत बड़ी विडंबना है कि जहां पर हम साधु-संतों को उच्च आसन पर विराजमान कर उनकी पूजा,  सुश्रुसा  की जाती रही है  आज उनके साथ अत्याचार हो रहे हैं यह हमारी भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों  को तार-तार करने वाला घिनौना कृत्य है  इसका पूरे भारतवर्ष के साधु संतों द्वारा एक मंच पर आकर इसका विरोध किया जाना चाहिए ।* *जैन अब जाग   जाओ पारस समय तुझे पुकार रहा*
*महावीर का अमर पथ तेरी ओर निहार रहा ।*
*अब समय आ गया सभी जैन समाज के संस्थाएं संगठन जाग जाय।ग्राम नगर तहसील स्तर पर पुलिस प्रशासन विधायक सभी को साधु संतों के विहार के बारे में सूचना दी जानी चाहिए और एक कमेटी हर क्षेत्र में बना देनी चाहिए । जो साधु संतों के विहार के समय पूरी तरह से संलग्न रहे  एक्सीडेंट भी बहुत हो जाते हैं उसका भी बहुत ध्यान रखना चाहिए क्योंकि साधु समाज देश राष्ट्र की अनमोल धरोहर है उनकी  रक्षा करने का परम दायित्व हम सबका है।  कल यदि कोई जैन साधु संत के साथ अनहोनी घटना घटती है तो यह पूरे भारत की जैन समाज के लिए एक बहुत बड़ी घटना होगी इसलिए हम अभी से जाग जाएं तो अच्छा रहेगा। मै स्वयम लेखक पारस जैन "पार्श्वमणि" पत्रकार  सम्पूर्ण भारत वर्ष की  जैन समाज  एवम समस्त संस्थाएं महासभा ,महासमितियां जितने भी संगठन है  प्रमुख राष्ट्रीय संन्तो के मार्गदर्शन में कार्य करे। मै निवेदन करता हूं कि  इस विषय को गंभीरता से लेते हुए इस पर जरूर ध्यान दें और हर जिला गांव तहसील स्तर पर एक  एक कमेटी जरूर बनाये।  मेरा ध्येय  समाज एवं  साधु-संतों  की रक्षा की ओर ओर  ध्यान आकर्षित करना है। अतः आज अत्यंत आवश्यकता है कि हम समय पर जाग जाएं और अपनी जिम्मेदारियों को समझें।*
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