जीव बचेंगे तभी जगत और यह जीवन बचेगा विहर्ष सागर जी

ग्वालियर-वर्तमान  के इस तांडव में हर मानव को त्यागी बनकर अपनी धन-संपत्ति का सदुपयोग करना चाहिए। जीव बचेंगे तो जगत बचेगा और जगत बचेगा तो जीवन बचेगा। वर्तमान समय में हर व्यक्ति को परिग्रह के पीछे अंधी दौड़ न दौड़कर अपने पुण्य कार्य बढ़ाना चाहिए। यह बात राष्ट्र संत मुनिश्री विहर्ष सागर जी महाराज ने बुधवार को तानसेन नगर स्थित न्यू कॉलोनी में धर्म चर्चा में कही। इस दौरान मुनिश्री विजयेश सागर जी महाराज औक क्षुल्लक विश्वोत्ततर सागर जी महाराज मौजूद थे।

मुनिश्री ने कहा कि पुण्य की उपस्थिति में किया गया थोड़ा सा पुरुषार्थ भी व्यक्ति को मालामाल कर देता है। पुण्य और पुरुषार्थ की युगलबंदी से जुड़कर जीवन और जगत की हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा आर्थिक असमानता और अनावश्यक वस्तुओं का अनुचित संग्रह समाज में अराजकता पैदा करता है। इससे एक मनुष्य, दूसरे मनुष्य का शोषण करता है। इस आर्थिक असमानता का उपचार भी अपरिग्रह से होगा। पदार्थ की पकड़ और अर्थ की अकड़ को जो शिथिल कर लेता है, वह मानव ही महामानव बन सकता है।

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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