कमाई सब करते हैं, दान धनी नहीं उदार लोग ही करते हैं मुनि श्री

सागर -मंदिर में ताला मानवता की रक्षा के लिए लगा है, हमारी आस्था पर कोई ताला नहीं लग सकता
दान देने की तत्परता और मनोभाव हर किसी के पास नहीं होता। कमाना और संग्रह करना सब लोग करते हैं लेकिन वे भोगना और दान देना नहीं चाहते हैं जिनका चित्त उदार होता है, वे तत्परता से दान देते हैं। बाकी लोगों के दान देने में प्राण निकलते हैं। धनी व्यक्ति नहीं उदार व्यक्ति ही दान देता है।
यह बात मुनिश्री प्रमाण सागर जी  महाराज ने भाग्योदय तीर्थ परिसर से लाइव प्रवचन में कही। मुनिश्री ने कहा एक दान देने के लिए लोग उत्साहित रहता है और एक ऐसा भी होता है कि जिसका दान देने का कोई मन नहीं होता है। पर ऐसे करोड़पतियों की समाज में कोई इज्जत नहीं होती। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो समाज में दिखावा नहीं करते हैं परंतु दान उदारता से देते हैं। पैसे वाले पैसा होने के बाद भी प्रतिष्ठा नहीं पा पाते हैं। संपत्ति वह नहीं जो जोड़ी है संपत्ति तो वह है जो दान करो उपभोग करो और दूसरों को देना शुरू करो।
मुनिश्री ने कहा मनुष्य की स्थाई भावना से उसकी प्रवृत्ति बनती है फिर उसके भाव बनते हैं और उसके बाद उसका चरित्र निर्माण होता है। पर्व लेश्या ऐसी है जिस का चित्त कमल की तरह खिला हो। सोच बड़ी हो मन निर्मल हो और व्यवहार शालीन हो अपने भाव को यदि पलट कर देखना चाहते हो तो बीते 24 घंटे में आपने क्या-क्या किया है इसको एक कागज पर लिख कर देख लो। जो आपको गलत लगे उसको दूर करने का प्रयास करो।
मुनिश्री  ने कहा वर्तमान की त्रासदी भयंकर महामारी है। हमारी आस्था पर ताला नहीं लगाया जा सकता है मंदिर में तो यदि कोई ताले लगाने का वैसे प्रयास करता तो हम सर कटवा सकते थे परंतु मानवता की रक्षा के लिए लगाया ताला गया तो हमने लगवाने दिया है। धर्म रोकने के लिए नही लगा है। जिनके जीवन में सरलता सात्विकता हो, सरल व्यक्ति की पहचान कुछ कह दो वह बुरा नहीं माने, किसी को बुरा न बोले अभिमान की अकड़ उसके पास न हो अपने मन को टटोल कर देखो छोटे-छोटे व्यक्ति को सम्मान दो।
सरलता बड़ी व्यापक है, पाप को रोकने का प्रयास करना चाहिए
सरलता बड़ी व्यापक है। पाप को जिस स्तर पर रोक सको वहीं रोको। पाप में जीने वाले मन में ही रखो। वचन में नहीं लाना, वचन में आ जाए तो क्रिया में मत लाना। सरलता का एक लक्षण है और किसी को बुरा नहीं बोलना चाहिए और किसी के बुरा बोलने पर उसका जवाब भी हमें नहीं देना चाहिए।
              संकलन अभिषेक जैन लूहाडीया रामगंजमंडी

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