शिवपुरी। पुरानी कहावत है कि "हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और" इसी तरह का कुछ वर्तमान में प्रदेश में घटित हो रहा है। सारा देश कोरोना के संकट और संक्रमण से जूझ रहा है, लेकिन प्रदेश की सरकार है कि उसे शराब बिचवाकर राजस्व की वसूली की पड़ी है। राजस्व वसूली तक भी ठीक है, लेकिन शराब ठेकेदार के कर्मचारियों के लिए कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए कायदे कानून भी खूंटी पर टांगना, यह कहीं न कहीं गलत है। इसी तरह का मामला शिवपुरी में आज उस समय देखने को जिला जब रेड जोन क्षेत्र से शराब की नामीगिरामी कंपनी सोमडिस्लरी के सेल्समैन शिवपुरी जिले में दुकानें संचालित करने आए, लेकिन इस दौरान आबकारी उपनिरीक्षक अनिरूद्ध खानवलकर द्वार उन्हें अपनी स्क्रीनिंग कराने की हिदायत दे डाली। श्री खानवलकर ने काम तो जिले की भलाई के लिए ही किया, लेकिन आबकारी ठेकेदारों की ताकत के आगे उपनिरीक्षक जैसे अधिकारी और नियम कायदे कहां लगते हैं। इसी तरह का जलवा कुछ देखने को मिला और आबकारी उपनिरीक्षक को अपर आबकारी आयुक्त मप्र द्वारा सस्पेंड कराने का आदेश थमा दिया। इस तरह से एक कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार उपनिरीक्षक को रास्ते से हटा दिया गया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का राजस्व प्रेम मानवता पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ माह से आबकारी की दुकानें लॉकडाउन के चलते बंद हैं। इसी बीच जिले का ठेका भी बदल गया जो प्रसिद्ध सोमडिस्लरी के पास आ गया। शासन द्वारा जिले में नए ठेकेदार सोम डिस्लेरी को अपनी दुकानें प्रारंभ करने के आदेश मिले है। जिसके चलते आज पूरे जिले में दुकानें प्रारंभ करने की तैयारी में सोम डिस्लैरी गु्रप जुटा हुआ है। बताया जा रहा है कि इसी के चलते आज पिछोर और कोलारस में तहसील में भी दुकाने संचालित करनी थी। पिछोर और कोलारस में कुल 42 दुकाने हैं, जिनमें से 17 कोलारस और 25 पिछोर में हैं। सोम डिस्लरी ने इन दुकानों के चार्ज के लिए सात लोगों को पावर ऑफ अटौनी लेकर चार्ज के लिए भेजा हैं। बताया जा रहा हैं कि जब इन लोगों ने फोन पर कोलारस ओर पिछोर की इन दुकानों का चार्ज लेने उपनिरीक्षक अनिरूद्ध खानवलकर को फोन लगाया और दुकानों की चार्ज की बात की तो उपनिरिक्षक ने कहा कि चार्ज आकर ले लो मैं पिछोर में ही हूं, लेकिन चार्ज लेने से पहले कोविड 19 के नियमों का पालन करना होगा और स्वास्थ्य परीक्षण की रिपोर्ट के बाद ही दुकानों का चार्ज दिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो इसके बाद श्री खानवलकर पर अनैतिक दबाव बनाने का भी प्रयास किया गया और जब वह अपनी बात पर अडिग रहे तो आखिरकार उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।
आखिरकार जांच के बाहरी व्यक्तियों का जिले में प्रवेश कैसे..?
बताया तो यहां तक जा रहा है कि इन लोगों के पास ई-पास तक नहीं है अगर होते तो इनका स्वास्थ्य परीक्षण भी हुआ होता। यह व्यक्ति इंदौर और भोपाल के बताए जा रहे हैं नियमानुसार इन शहरों के लोगों को आने-जाने की परमिशन मिलना बहुत मुश्किल है क्योंकि यहां पर सबसे अधिक कोरोना के मरीज पॉजीटिव पाए गए हैं। ऐसी स्थिति में एक अधिकारी को जनहित में कार्य करने की सजा सस्पेंड होकर चुकाना पड़ रही है। जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो हो सकता है कि शिवपुरी जिला बड़े सकंट में न फंस जाए।