राजनीतिक: भाजपा नेता बृजेंद्र तिवारी 2003 के चुनाव में ग्वालियर जिले की गिर्द सीट से चुनाव जीते। परिसीमन के बाद 2008 में इस सीट का नाम भितरवार हो गया और वे कांग्रेस के लाखन सिंह से हार गए। 2013 में यहां से भाजपा ने अनूप मिश्रा को टिकट दिया तो बागी बृजेंद्र तिवारी ने राष्ट्रीय समानता दल से चुनाव लड़ा।
गिर्द से 1998 में बसपा के टिकट पर लाखन सिंह ने कांग्रेस के बालेंदु शुक्ल को हराया था। बाद में लाखन सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्तमान में लाखन सिंह भितरवार से कांग्रेस के विधायक हैं और पूर्व की कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे ।
मुरैना जिले की सुमावली सीट से एंदल सिंह कंसाना 1993 और 1998 में लगातार दो बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीते। बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। वे दिग्विजय मंत्रिमंडल के सदस्य भी रहे। 2003 का चुनाव हार गए, लेकिन 2008 में कांग्रेस के टिकट पर सुमावली से फिर चुनाव जीत गए। 2013 में भाजपा के सत्यपाल सिंह सिकरवार से चुनाव हार गए थे,2018 में कांग्रेस से एक बार फिर विधायक बने लेकिन मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज चल रहे कंसाना ने न केवल दल बदला बल्कि दिग्गी का साथ छोड़ सिंधिया समर्थक हो गए और वर्तमान शिवराज सरकार में पीएचई मंत्री हैं।
सुमावली सीट से ही 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते गजराज सिंह सिकरवार बाद में भाजपा में आ गए और चुनाव जीतकर सुमावली से भाजपा विधायक बने।
गिर्द से कांग्रेस विधायक और प्रदेश के मंत्री रह चुके बालेंदु शुक्ल 2013 में कांग्रेस से रूठकर बसपा में चले गए थे। ग्वालियर दक्षिण से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, हार गए तो भाजपा में आ गए। सरकार ने उन्हें सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया। और अब एक बार फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।
भिंड से 2008 में कांग्रेस के टिकट पर जीते चौधरी राकेश सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। 2013 में उनकी जगह छोटे भाई चौधरी मुकेश सिंह भाजपा के टिकट पर मेहगांव से चुनाव जीते। इस बार राकेश सिंह की घर वापिसी हो गई है और वे कांग्रेसी हो गए ।
कांग्रेस ने 2014 के लोकसभा चुनाव में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डॉ. भागीरथ प्रसाद को भिंड से प्रत्याशी बनाया, लेकिन अगले ही दिन वे भाजपा में चले गए और भाजपा ने उन्हें इसी सीट से अपना उम्मीदवार बना दिया। डॉ. प्रसाद इस लोकसभा सीट पर अपने पांच साल पूरे किए।
समाजवादी नेता एवं पूर्व मंत्री रमाशंकर सिंह तीन दलों का सफर करने के बाद अब सक्रिय राजनीति से दूर हैं। वे लोकदल, कांग्रेस और बसपा से चुनाव लड़ चुके हैं। उधर, भिंड से भाजपा के सांसद रह चुके रामलखन सिंह एक बार जनता दल से भी किस्मत आजमा चुके हैं। भिंड से भाजपा के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह भी एक बार समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़कर हार चुके हैं। मेहगांव से भाजपा के विधायक रह चुके राकेश शुक्ला एक बार लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं।
