प्रतापगढ़ -आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने कहा संसार की असारता, दुखो की अपारता, मे उलझ गए तो कुछ नही, सुलझ गए तो आत्मा थियो। संसार मे विकल्प भरे हुए है अपने ही कर्म से यह जीव दुखी होता है। जो जीव इस बात को समझ जाता वह संसार से ऊंचा हो जाता है। उन्होंने एक द्रष्टान्त के माध्यम से बताया कि दिशाल्या नामक चक्रवर्ती राजा की बेटी थी उसमे अपार करुणा थी। किसी कारणवश उसे जंगल में अचानक अटवी मे जाना पडा। सामने अजगर आते देखा लेकिन वह बिना डरे चलती रही। उसी बीच अजगर उसे आधा निगल जाता है उसी समय 6 खंडों का राजा दिशाल्या वहा जंगल मे आता है। वह अजगर को मारने के लिए तलवार निकालता है। अधमरी अवस्था में भी बेटी पिताजी से कहती है इसे मत मारिएगा। इसमे अजगर का नही मेरे कर्मो का दोष है। यह तो केवल निमित्त है। इसीलिए है जीवों? कषायबिष्ट, विषयाबिष्ट बुद्धि को छोड़ कर अपने आपको संसार की असारता से पार कर लो। जिससे कि संसार में पुनः आना न हो।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी