राजनीतिक हलचल-मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में शह-मात का खेल जारी है. बसपा प्रमुख मायावती ने सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान करके कमलनाथ की बेचैनी को बढ़ा दिया है. कांग्रेस ने दलित वोट साधने के लिए बसपा में सेंधमारी शुरू कर दी है. हाल ही में बसपा के कई नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं । उपचुनाव वाली ज्यादा तक सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं, जहां दलित मतदाता काफी अहम और निर्णायक माना जाता है. बसपा प्रमुख मायावती ने इन सीटों पर चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान करके पूर्व सीएम कमलनाथ की बेचैनी को बढ़ा दिया है तो कांग्रेस ने दलित वोट साधने के लिए बसपा में सेंधमारी शुरू कर दी है ।
ग्वालियर-चंबल संभाग के तहत आने वाली सीटों पर बसपा को अच्छा खासा वोट मिलता रहा है. पिछले चुनाव में 15 सीटों पर उसे निर्णायक वोट मिले थे. इनमें से दो सीटों पर बसपा प्रदेश में दूसरे नंबर पर रही थी जबकि 13 सीटें ऐसी थीं, जहां बसपा प्रत्याशियों को 15 हजार से लेकर 40 हजार तक वोट मिले थे. ग्वालियर-चंबल की जिन सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, उनमें से मेहगांव, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, भांडेर, करैरा और अशोकनगर सीट पर बसपा पूर्व के चुनाव में जीत दर्ज कर चुकी है.
2018 के विधानसभा चुनाव में गोहद, डबरा और पोहरी में बसपा दूसरे नंबर पर रही है जबकि ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व और मुंगावली में उसकी मौजूदगी नतीजों को प्रभावित करने वाली साबित हुई. मुरैना में बीजेपी की पराजय में बसपा की मौजूदगी प्रमुख कारण था. इसके अलावा पोहरी, जौरा, अंबाह में बसपा के चलते भाजपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी ।
