पोहरी: जैसे - जैसे उपचुनाव के मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है प्रत्याशी और उनकी पार्टी ने सघन जनसंपर्क के साथ अपनी रणनीतिक चाल भी चलना शुरू कर दी हैं ।
अभी तो विधानसभा उपचुनाव के मतदान में कुछ वक्त बाकी है। इस बार भले ही कांग्रेस विधायक के इस्तीफा के कारण उपचुनाव की स्थिति बनी हो लेकिन, अब तक जो घटनाक्रम घटे हैं उनमें सबसे ज्यादा बहुजन समाज पार्टी ने चौंकाया है। बसपा ने भाजपा-कांग्रेस के नाराज नेताओं को दोनों हाथों से टिकट बांट डाले हैं। पोहरी में तो 2018 में बसपा छोड़ आए कैलाश कुशवाह को टिकिट दिया था जो दूसरे स्थान पर रहे अब एक बार फिर उन पर ही भरोसा किया है ।
इसका असर यह हुआ कि, जिन सीटों पर हाथी सुस्त पड़ा रहता था वहां हाथी की चिंघाड़ से भाजपा-कांग्रेस के गणित बिगड़ रहे हैं। चंबल-ग्वालियर संभाग में कई सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा-कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होता है लेकिन, कांग्रेस-भाजपा के नेताओं ने हाथी की सवारी करके कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।
उदाहरण ऐसे समझिए कि, पोहरी विधानसभा को कांग्रेसऔर भाजपा का गढ़ माना जाता है। पोहरी में हमेशा से भाजपा-कांग्रेस के बीच ही टक्कर रही है। पिछले कई चुनाव से बसपा की स्थिति कमजोर ही रही है लेकिन,2018 में पोहरी से दो बार विधायक रहे प्रहलाद भारती को बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह ने तीसरे स्थान पर धकेल कड़ी टक्कर कांग्रेस को दी थी और अब फिर से निकटम प्रतिद्वंद्वी रहे सुरेश राठखेड़ा को टक्कर दे रहे हैं ।
कुशवाह के बसपा प्रत्याशी बनने से पोहरी की राजनीति के पूरे सीन बदल चुके हैं। पूरी तरह अब मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है क्योंकि, कुशवाह भाजपा-कांग्रेस के वोटों में जमकर सेंध लगाएंगे। यह हालत केवल विजयपुर में नहीं बल्कि, ग्वालियर-चंबल संभाग की कई सीटों पर दिखाई पड़ रही हैं। कई जगह पर बसपा ने भाजपा-कांग्रेस के नाराज नेता को हाथी पर सवार कर दिया है जिससे सुस्त पड़ा हाथी कई जगहों पर सरपट दौड़ता नजर आ रहा है।
