उपचुनाव: जौरा विधानसभा का इतिहास


उपचुनाव: जौरा विधानसभा सीट चंबल अंचल में कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती है। यहां 1957 से लेकर साल 2018 तक के चुनावों में कांग्रेस ने सर्वाधिक 5 बार,बसपा ने 3 बार और भाजपा ने 1 बार जीत दर्ज की है, इसके अलावा 2 बार निर्दलीय, 1 बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, 1 बार जनता पार्टी और 1 ही बार जनता दल को यहाँ से जीत मिली है ।

चुनावी इतिहास-

- 1957 के पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार चेतलाल ख़ासीप्रसाद जीत हासिल कर निर्वाचित हुए थे।
- 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेता पंचम सिंह विधायक निर्वाचित हुए थे।

- 1967 के चुनाव में निर्दलीय रामचरण लाल मिश्रा ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1972 और 1980 के चुनावों मे कांग्रेस के टिकिट पर दो बार विधायक बने ।
- 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार सूबेदार सिंह जीत हासिल कर विधायक बने।

- 1985 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीवार महेश दत्त मिश्रा ने जीत हासिल की थी।

- 1990 के चुनाव में जनता दल के सुबेदार सिंह को जीत मिली थी।
- 1993 और 1998 में बसपा के सोनेराम कुशवाहा जीते थे।

- 2003 के चुनाव में उम्मेद सिंह बाना ने कांग्रेस पर जीत दर्ज की थी।
- 2008 के चुनाव में बसपा के मनिराम धाकड़ ने जीत दर्ज की थी।
- 2013 के चुनाव में पहली बार भाजपा को ये सीट मिली। भाजपा उम्मीदवार सुबेदार सिंह जीत दर्ज की थी।

2018 के चुनाव में कांग्रेस के बनवारीलाल शर्मा ने जीत दर्ज की थी। उनके निधन से ये सीट रिक्त हो गई है। जिस पर उपचुनाव हो रहे है। कांग्रेस ने इस सीट से पंकज उपाध्याय को मैदान में उतारा है।  सूबेदार सिंह ने 2013 के चुनाव में जीत दर्ज कर भाजपा को पहली बार ये सीट दिलाई थी। इस उपचुनाव में भी उनका पलड़ा भारी माना जा रहा है।
बसपा का भी अच्छा प्रभाव है, यहाँ से तीन बार बसपा ने जीत दर्ज की है जिसमें से सोनेराम कुशवाह ने दो बार जीत दर्ज की और उपचुनाव में बसपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय कर दिया है।

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