राजनीतिक हलचल: उपचुनाव के शंखनाद के साथ राजनीतिक दलों ने टिकिटों को लेकर मंथन शुरू कर दिया है,भाजपा तीन तो कांग्रेस चार सीटों पर फंसी हुई है,भाजपा जहाँ सबसे ज्यादा मुश्किल में है वो सीट मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट है। जौरा कांग्रेस विधायक के निधन के कारण रिक्त हुई थी लेकिन उपचुनाव में भाजपा इसे हथियाना चाहती है । वैसे तो इस सीट पर भाजपा का कुछ खास वर्चस्व नहीं रहा, जब से आम चुनाव हुए तब से लेकर अब तक भाजपा केवल 2013 में ही कमल खिलाने में कामयाब हो सकी,यहां से भाजपा के सूबेदार सिंह सिकरवार विजयी हुए थे ,लेकिन 2018 आते आते भाजपा से जनता का इस कदर मोह भंग हुआ कि जीत से कुछ कदम तो छोड़िए तीसरे स्थान पर रहकर संतोष करना पड़ा।
अब उपचुनाव में भाजपा एक बार फिर कमल खिलाने की हसरत पाल रही है लेकिन अब उनके ही कार्यकर्ता गले की हड्डी बनकर अटक गए हैं। दरअसल सूत्रों के मुताबिक भाजपा एक बार फिर से सूबेदार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाना चाहती है लेकिन उनकी ही पार्टी के अंदर खाने से विरोध के ऐसे स्वर फूटे कि क्या दिल्ली,क्या भाजपा सब जगह जाकर पार्टी पदाधिकारियों द्वारा सूबेदार सिंह का खुलकर विरोध किया जा रहा है,मंडल बैठक में कैलारस प्रवास पर आए केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के सामने हज़ारों की संख्या में एकत्रित होकर कार्यकर्ताओं ने मुखर आवाज में न केवल सूबेदार का विरोध किया बल्कि विकल्प के रूप में कैलारस मंडी अध्यक्ष रामलखन सिंह धाकड़ को जौरा से उम्मीदवार बनाए जाने की माँग की,पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना कि यदि विरोध के बाद भी यदि सूबेदार को टिकिट दिया जाता है तो भाजपा का हम सब खुलकर विरोध करेंगे। , अब भाजपा आंतरिक विरोध में उलझ गई है ।
