राजनीतिक हलचल-ग्वालियर पूर्व सीट का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. 2018 में मुन्नालाल गोयल कांग्रेस के उम्मीदवार थे. 2018 में सतीश सिकरवार बीजेपी के उम्मीदवार थे. तब मुन्ना लाल गोयल ने चुनाव में सतीश सिकरवार को शिकस्त दी थी. इसी साल मार्च में मुन्नालाल ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया.मुन्नालाल को टिकट देने से नाराज़ सतीश सिकरवार ने कमलनाथ के सामने कांग्रेस का दामन थाम लिया. लिहाज 2020 उपचुनाव में अब दोनों चेहरे पार्टियां बदलकर फिर आमने- सामने हैं. सतीश सिकरवार इससे पहले 2015 में कांग्रेस को बड़ा झटका दे चुके हैं. 2015 नगर निगम के चुनाव में सतीश सिकरवार पार्षद का चुनाव निर्विरोध जीत गए थे. उस वक़्त सतीश के समर्थन में कांग्रेस के पार्षद उम्मीदवार ने ही नाम वापस ले लिया था. वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में जब मुन्नालाल गोयल लगभग जीता हुआ चुनाव हार गए थे तो उन्होंने बीजेपी की विजयी उम्मीदवार माया सिंह के खिलाफ मतगणना केंद्र के बाहर धरना दे दिया था. ।
ग्वालियर पूर्व सीट पर दोनों प्रत्याशियों के दलबदल की वजह से अब यहां पर दल बदल का मुद्दा शून्य हो गया है. जनता यह तय नहीं कर पा रही है कि आखिरकार वह किस पर भरोसा करे ? ऐसे में जो उम्मीदवार जातिगत समीकरण के साथ पार्टी संगठन के दम पर मैदान में जनता के बीच अपनी बात बेहतर तरीक़े से रख पायेगा जीत उसी की सुनिश्चित मानी जा रही है. ऐसे में देखना होगा कि आखिरकार उपचुनाव की इन दिलचस्प कहानियों के बीच 10 नवंबर को नतीजे किसके पक्ष में आते हैं और कौन घर पर बैठने को मजबूर होगा.
