खिमलासा-राष्ट्र को अगर बचाना है, भारतीय संस्कृति की अस्मिता की रक्षा करनी है, नैतिक मूल्यों को कायम रखना है, भगवान राम और भगवान महावीर के हाथरस जीवित रखने हैं, मानवता करूणा व दया की भावनाओं को सुरक्षित बनाए रखना है, तो आज के युवाओं को संस्कारी बनाया जाना बहुत ही जरूरी है। सुसंस्कारी बच्चे ही सद्-आचरण के धनी हो सकते हैं और वे ही इस गौरवशाली राष्ट्र को बचा पायेंगे। यह बात खिमलासा में विराजमान आचार्यश्री वर्धमानसागर जी महाराज ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र को आज गोपालकृष्ण गोखले, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, शहीद भगतसिंह, वीरांगना लक्ष्मीबाई, सती मनोरमा, सती अंजना, सती सावित्री, प्रभुभक्त मीरा, माता-पिता की भक्ति के प्रतीक श्रवणकुमार और आचरण युक्त राष्ट्रभक्ति के कुशल राजनैतिक चाणक्य जैसे चरित्रवान एवं संस्कारयुक्त जीवन की निहायत आवश्यकता है। स्कूल से ही बालक सदाचार, नैतिकता, राष्ट्रभक्ति, मानवीय आचरण का ज्ञान प्राप्त कर पाता है, अतः जीवन के उत्थान की प्रयोगशाला रूपी इन पाठशाला में संसारयुक्त शिक्षा की ही सर्वाधिक जरूरत है। आज के मौजूदा हालत में डिग्री या उपाधीयो की जरूरत नहीं बल्कि इस बात की परम आवश्यकता है कि जीवन का नैतिक उत्थान कैसे हो। ऐसे बालक ही तो राष्ट्र की अमूल्य धरोहर को सुरक्षित रख पाएंगे।
बड़े जैन मंदिर खिमलासा में विराजमान आचार्यश्री वर्धमानसागर जी महाराज एवं मुनि श्री विमलसागर जीमहाराज अपने संघस्थ 21 मुनिद्वय के साथ अपूर्व धर्म प्रभावना में रत हैं। आचार्य संघ के दर्शन वंदन करने दूरस्थ अंचल से बड़ी संख्या में सैकड़ों श्रद्धालुओं पहुंच रहे हैं।
अशोक शाकाहार ने बताया कि गणतंत्र दिवस पर मंगलवार को वर्धमानसागर जी महाराजएवं मुनिश्री विमलसागर जी महाराज के विशेष उद्बोधन होंगे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
