बिजोलिया-पांच रेजीमेंट, सेना की तरह ही पदाधिकारियाें की नियुक्ति...आयाेजन कमेटी के प्रदीप पटवारी के अनुसार भारतीय संस्कृति, जैन धर्मध्वज काे सम्मान और जीव दया के उद्देश्य से जैन आर्मी बनाई गई। अब काेटा, किशनगढ्, नसीराबाद, बिजाैलिया, महुआ अादि जगह भी जैन युवाओ का ऐसा संगठन बन चुका है। इसमें भी सेना के तीनाें अंगाें की तरह प्रमुख का पद महाराज देते हैं। हर जगह अरिहंत रेजीमेंट, सिद्ध रेजीमेंट,आचार्य रेजीमेंट, उपाध्याय रेजीमेंट, साधु रेजीमेंट हैं। जिनकी अलग वर्दी व अलग कार्य है। पद देने से पहले परीक्षा हाेती है।
| दिगंबर जैन पार्श्वनाथ अतिशय तीर्थ क्षेत्र में गुरुवार को पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की शुरुआत ध्वजारोहण के साथ हुई। 16 फरवरी तक हाेने वाले आयाेजन काे जैन आर्मी के जवानाें के मार्च पास्ट और ड्राेन से पुष्प वर्षा ने भव्यता दी। अहिंसा धुन की स्वर लहरियाें के बीच ध्वज काे सलामी दी गई। व बालिका मंडल ने मंगलाचरण व युवा मंडल ने ध्वज गीत सुनाया। रंग-बिरंगे गुब्बारे उड़ाए ताे बच्चे भी रंग-बिरंगे गुब्बारे लहरा रहे थे। इस अवसर पर मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज के सान्निध्य व मध्यप्रदेश के अशोकनगर के प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया के निर्देशन में ध्वजारोहण अहमदाबाद के विनय जैन, आभा जैन ने किया। एवम दीप प्रज्ज्वलन रामगंज मंडी के सुरेश बाबरिया व चित्र अनावरण गाजियाबाद विनोद जैन ने किया।
इस अवसर पर मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में भगवान के चरण नहीं, उनके चरणों की रज का महत्व है। वह ही भक्तों के लिए उपकारी है। ऐसे धार्मिक आयोजनों से वातावरण में अशुद्धियां दूर होती हैं। गुरुवार काे गर्भकल्याणक पूर्वार्द्ध के आयाेजन हुए। शुक्रवार काे गर्भकल्याणक उत्तरार्द्ध के आयाेजन हाेंगे।
एक विवरण
}22 हजार वर्गफीट में मूल मंदिर, लाेहे का इस्तेमाल नहीं...आयाेजन कमेटी से जुड़े नितिन पटवारी ने बताया कि मंदिर का परिक्षेत्र 80 बीघा है। शास्त्राें के अनुसार पार्श्वनाथ भगवान का समवशरण यहीं आया था। यहीं तपस्या के समय केवल्यज्ञान हुआ। उसी शिला पर करीब 800 वर्ष प्राचीन मूल मंदिर और मूल नायक प्रतिमा है। प्राकृत व बाेधि भाषा में लिखा शिलालेख भी है। मंदिर जीर्णाेद्धार 2015 में प्रारंभ हुआ था। मूल मंदिर 140 गुणा 160 फीट यानि 22400 वर्ग फीट में बना है। कहीं पर भी लाेहे का इस्तेमाल नहीं हुआ।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
