ये प्रतिमाएं और भारत का धर्म हमारी संस्कृति है : मुनिश्री

सोनकच्छ-मालवा की परिक्रमा करके आज फिर यहां आने का सौभाग्य मिला है। आचार्य श्री विद्यासागरजी  महाराज का भी सोनकच्छ नगरी को आशीर्वाद मिला है। पहले जब हम आए थे तो हमने पास के गाव गंधर्वपुरी का संग्रहालय देखा था, जहां उचित मात्रा में जैन धर्म सहित कई प्रतिमाएं रखी हुई है। इनकी ओर पुरात्व विभाग की नजर शायद नहीं है। ये प्रतिमाएं, ये भारत का धर्म हमारी संस्कृति है। क्याेंकि धर्म है ताे सबकुछ है।

यह बात आचार्य श्री  विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनिश्री संभवसागरजी महाराज ने नगर आगमन पर जैन मंदिर में भक्तों को आशीर्वचन देते हुए कही। मुनिश्री विराटसागरजी महाराज ने भी आशीर्वचन दिए। इससे पहले मुनिश्री संभवसागरजी  महाराज संघ सहित  नगर में मंगल प्रवेश हुआ। दिगंबर जैन समाज ने प्रगतिनगर पहुंच कर अगवानी की।  मुनि संघ  को जुलूस के रूप के नगर आगमन हुआ। मार्ग में पूर्व विधायक राजेंद्रसिंह बघेल, संस्था जनसेवा के अखिलेश अग्रवाल मित्र मंडल सहित जैन समाजजनों ने अपने घरों के सामने मुनि संघ के पादप्रक्षालन कर आरती की। 
           संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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