हाटपिपलिया -मालवा की धर्म प्राण नगरी अनेक सन्तो की जननी धरा पर इन दिनों महती प्रभावना बरस रही है। यहा सम्भव सागर जी महाराज सहित 11 मुनिराजों को साक्षात समवसरण विद्यमान है। इसी क्रम मै आज की सुप्रभात और अलोकिक मंगल हो गयी जब विराट ह्रदय तप त्याग की प्रतिमूर्ति मुनि श्री विराट सागर जी के आहार उन्ही की जन्मभूमि आवास पर हुई। यह वो आवास जहां से कल के अमित अवतरित हुए यही से उनके संस्कार का बीजारोपण हुआ। जो व्रती बन अमित भया बने और विश्व वन्दनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी से दीक्षा को अंगीकार कर महाव्रती बन मुनि श्री 108 विराट सागर जी महाराज हुए आज वह धर्म की महती प्रभावना कर रहे है। ऐसी जनभूमि ऐसे आवास को भला कौन नमन नही करना चाहेगा। आज 17 वर्ष बाद उसी आवास पर आहारचर्या और चरण वंदना का पुण्य श्री विजयकुमार जी तेजकुमार जी आदित्य टोंग्या परिवार को मिला। आज यह परिवार अपने आप को धन्य महसूस कर रहा है। जैसे ही चरण मुनि श्री के इसी आवास पर पढ़े। परिवार ज़न भाव विहल हो उठे। क्या क्षण रहे होंगे जिनके समक्ष्य यह अठखेलिया करते थे। जिनके समक्ष्य यह पले बढ़े। आज वहीं उनकी तप त्याग की मुद्रा को नमन करते है दृष्टिगत हुए। यही है तप त्याग की अनुपम महिमा सचमुच ऐसे भावुक क्षण अविस्मरणीय है। जिनका वर्णन करते हुए शब्द भी बोने साबित हो जाते है।
आओ इन्हे वन्दन कर ले
यह चलते फिरते तीरथ है।
शत शत नमोस्तु
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी की रिपोर्ट
