सुरखी-संसार में संसारी प्राणी ही पुण्य का अर्जन करता है और जो वह करता उसी का फल भोगता है। अतिशय पुण्य का अर्जन करता है। यह बात निर्यापक मुनि श्री समयसागर जी महाराज ने सुरखी में पात्र चयन के बाद धर्मसभा में कही। पचम काल में हम प्रभु का साक्षात दर्शन तो नहीं कर सकते। लेकिन पंचकल्याणक के कार्यक्रमों से हम यह दर्शन कर पाते हैं। पंचकल्याणक देखने से कर्मों की निर्जरा होगी।
ब्रह्मचारी विनय भैया बंडा ने बोलियों के माध्यम से प्रमुख पात्रों का चयन किया। भगवान के माता-पिता बनने का सौभाग्य सुरखी निवासी चौतरा परिवार के महाराजा नाभिराय सुरेंद्र जैन, माता मरुदेवी श्रीमती रक्षा जैन को मिला। सौधर्मइंद्र राहुल राजकुमार जैन, शचिरानी रीना जैन, कुबेर इंद्र अरविंद कुमार पठा-रश्मि मौजूद थे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
