पारसनाथ -मुम्बई निवासी सह हीरा व्यवसायी का इकलौता पुत्र दीप शाह ने सम्मेद शिखर जी भगवान पारसनाथ की 108 वंदना का संकल्प पूरा किया। पारसनाथ चोटी तक 108 बार वंदना या चढ़ाई पूरी करने के लिए तमिलनाडु की गर्मी में ट्रेनिंग ली। यहां बताते चलें कि दीप शाह का जीवन जोश व जज्बा से भरा है। मैसूर से कन्याकुमारी तक एवं लेह-लद्दाख तक 5,000 किलोमीटर तक साइकलिंग भी पूरी की है। देश ही नहीं विदेश में भी शाह के जज्बे से वाकिफ है। एक तरफ कोविड-19 वैश्विक महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन को लेकर देशभर के लोग घर में कैद हैं। वहीं मुंबई निवासी पीयूष शाह का इकलौता पुत्र 32 वर्षीय दीप शाह बीस तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली पारसनाथ पहाड़ी की लगातार यात्रा करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि जब से होश संभाला है कुछ नया करने का जज्बा उनके दिल में आते रहता है। दीप साह मैसूर से कन्याकुमारी तक व लेह-लद्दाख तक साइकलिंग करने या फिर म्यामांर के जंगलों में बौद्ध भिक्षुओं के साथ ध्यान व योग करने का शौक पूरा कर चुके हैं। सामान्य इंसान से अलग मानसिकता रखने वाले दीप शाह एक श्वेताम्बर जैन परिवार से है। चूंकि पारसनाथ पहाड़ी जैनियों का सम्मेद शिखर के नाम से प्रसिद्ध हैं। दीप शाह पारसनाथ शिखर की 27 किलोमीटर की चढ़ाई को 108 बार चढ़ने का संकल्प तो ले लिया, लेकिन इसे पूरा करने के लिए उन्हें ट्रेनिंग की भी जरूरत पड़ी।पारसनाथ पहाड़ी की 108 बार वंदना या चढ़ाई पूरी करके हीरा व्यवसायी का पुत्र दीप शाह अपने को शारीरिक रूप से स्वस्थ मान रहा है। पारसनाथ पहाड़ी चोटी तक 27 किलोमीटर की चढ़ाई 108 बार पूरी करने से शाह का आत्मबल बढ़ा है। दीप शाह का संदेश है कि यदि प्रतिदिन शारीरिक मेहनत हर व्यक्ति करे तो कोविड जैसे घातक महामारी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक वातावरण में रहने वाला व्यक्ति कोरोना वायरस से चाहकर भी जंग नहीं जीत सकता है। ऋषि मुनि के इस देश मे योग, सूर्य नमस्कार, प्राणायाम आदि करके भी व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
