पोहरी। पिछले वर्ष नगर पंचायत चुनाव की आहट मात्र से खादी कुर्ता पहनकर तमाम नए नवेले नेताजी जी क्षेत्र में जनता के बीच पहुंचकर स्वयं को जनता का मददगार साबित करने में लगे थे, इनमें कुछ नए तो कुछ पुराने नेता भी शामिल थे।
हर कोई स्वयं को पार्षद से लेकर अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार बता रहा था और इस बात से न तो भाजपा अछूती थी और न कांग्रेस, जिनको कमल और हाथ पर भरोसा नहीं था वे साइकिल और हाथी की सवारी करने को उत्सुक थे और कुछ तो इन तमाम दलों के नेताओं के अरमानों पर पानी फेरने के लिए हाथ में झाड़ू थामने को भी तैयार थे ।
सोशल मीडिया से लेकर अखबारों की सुर्खियों में तमाम नेताओं की भीड़ थी, लेकिन आज जब जनता पर मुसीबत का दौर आया है तो उन बरसाती मेढक सरी के नेताओं में से एक भी जनता के साथ न खड़ाई दे रहा है और न ही उनकी सुरक्षा के लिए सेनेटाइजर, मास्क के साथ साथ जरूरत का सामान पहुंचाने को दिखाई नहीं दे रहे हैं।
अब सवाल अपना हिसाब वक़्त आने पर जरूर लेगी लेकिन सवाल तो उठता है कि क्या वे तमाम लोग सत्ता के लालची थे या फिर वास्तव में जनता की सेवा करने के लिए नगर परिषद चुनाव की आहट मात्र से स्वयं को जनसेवक साबित करने पर आमादा थे ।

