कोरोना की इस दूसरी लहर में भले ही ब्लैक फंगस का संक्रमण भले ही तेजी से फैल रहा है, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे डरने की जरूरत नहीं है बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि यह कोई नई बल्कि पुरानी बीमारी है। ब्लैक फंगस पहले भी लोगों का संक्रमित करता आया है, लेकिन हाल फिलहाल में इसके मामले बहुत अधिक और तेजी से देखने को मिले हैं। क्या आप जानते हैं कि ब्लैक फंगस आपके घर में भी मौजूद हो सकता है? जी हां, यह बिल्कुल सच है। आइए जानते हैं कि घर में छिपे ब्लैक फंगस को आप कैसे पहचान सकते हैं और इसके संक्रमण से बचने के लिए कौन सी सावधानी बरतने की जरूरत है?
विशेषज्ञ कहते हैं कि ब्लैक फंगस नमी वाली जगह में तेजी से फैलता है। यह ज्यादातर घर के अंदर नमी वाली दीवारों पर लगता है और दीवारों पर फंगस लगने से पहले सीलन की बदबू आने लगती है। इसलिए ध्यान रखें, घर की दीवारों पर फफूंदी नहीं लगने दें।
विशेषज्ञ कहते हैं कि घर के किचन में रखी पुरानी ब्रेड या सड़े हुए फलों, सब्जियों और फ्रिज में भी ब्लैक फंगस हो सकता है। इसलिए इन सभी चीजों की अच्छी तरह से साफ-सफाई करना बेहद ही जरूरी होता है। सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही उपयोग में लाएं और जो सब्जियां खराब हो रही हैं, उन्हें तुरंत फेंक दें।
विशेषज्ञ कहते हैं कि ब्लैक फंगस नमी में तेजी से फैलता है। इसलिए ध्यान रखें, घर में दरवाजे और खिड़कियों को खोलकर ताजी हवा को अंदर आने दें और घर के अंदर जो नम हवा मौजूद है, उसे बाहर निकालने के लिए क्रॉस वेंटिलेशन का उपयोग करें। इसके अलावा सबसे जरूरी बात कि फर्नीचर वगैरह को दीवार से सटाकर न रखें।
घर में ब्लैक फंगस चेक करते समय बरतें ये सावधानियां घर में मौजूद किसी भी तरह के फंगस की जांच कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि मास्क और ग्लव्स पहनें और हो सके तो सेफ्टी गॉगल का भी इस्तेमाल करें। जब फंगस की जांच कर लें, तो मास्क, ग्लव्स और सेफ्टी गॉगल को अच्छी तरह साफ करें। ध्यान रहे कि अगर घर की दीवारों पर या अन्य जगहों पर फंगस काफी ज्यादा हैं, तो उसे हटाने के लिए प्रोफेशनल की मदद लें।
नोट: डॉ. राजन गांधी अत्यधिक योग्य और अनुभवी जनरल फिजिशियन हैं। इन्होंने कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से अपना एमबीबीएस पूरा किया है। इसके बाद इन्होंने सीएच में डिप्लोमा पूरा किया। फिलहाल यह उजाला सिग्नस कुलवंती अस्पताल, कानपुर में मेडिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन के तौर पर काम कर रहे हैं। यह आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के आजीवन सदस्य भी हैं। डॉ. राजन गांधी को इस क्षेत्र में 25 साल का अनुभव है।