श्मशान घाट में अस्थियों का ढेर, लोग नहीं लेने आ रहे मृतकों के अस्थिफूल


शिवपुरी। कोरोना महामारी ने ऐसा दर्द दिया है कि लोगों को रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाया। पिछले डेढ़ महीने तक लगातार शमशाम चिताओं से सुलगता रहा। हर दिन 15 से 20 अंतिम संस्कार वहां हुए जिसमें अधिकांश कोविड प्रोटोकॉल से हुए। कोविड प्रोटोकॉल से जिनका अंतिम संस्कार हुआ जिसमें कई लोगों के स्वजन भी महामारी के डर से शामिल नहीं हुए। 




अब उनकी अस्थियां भी अपने स्वजनों का इंतजार कर रही हैं कि उन्हें प्रवाहित कर आए। कोरोना महामारी से रिश्तों में फैला यह संक्रमण हमारे सामाजिक ताने-बाने पर चोट है जिसमें 16 संस्कारों में सबसे अंतिम और महत्वपूर्ण संस्कार भी इस महामारी के डर के कारण पूरा नहीं हो पा रहा है। शिवपुरी मुक्तिधाम के लॉकर में करीब 72 लोगों की अस्थियां रखी हुई हैं जिन्हें लेने के लिए अभी तक कोई नहीं आया है। 




कोरोना की दूसरी लहर तो अब बीत चली है और संक्रमण दर 1 प्रतिशत से भी नीचे आ गई है, लेकिन सैकड़ों जिंदगियों में यह रिक्तता छूट गई है।शिवपुरी शहर मुख्य मुक्तिधाम को ले लें तो यहां 1 अप्रैल से 25 मई तक के 56 दिनों में जलने वाली चिताओं का औसत 11 चिताएं प्रतिदिन रहा। यहां मुक्तिधाम में इस दौरान 647 शवों की अंत्येष्टि की गई। एक समय ऐसा आया जब कोरोना और सामान्य मौतों के बाद आए शवों की संख्या 20 से 22 तक रही। 




कोरोना से होने वाली मौतों का सिलसिला यहां 12 अप्रैल से शुरू हुआ और मई में स्थिति यह बनी कि यह संख्या कई दिनों तक तो दहाई के आंकड़े में रही। इन 647 मौतों में से 236 मौतें कोरोना महामारी से हुईं और उनकी अंत्येष्टि भी प्रथक से शमशान के एक अलग हिस्से में की गई। 12 अप्रैल से 25 मई तक के 44 दिन में कोरोना से हुई मौतों का प्रतिशत 5.3 है। यह आंकड़ा तो महज एक मुक्तिधाम का है।



एक साल से इंतजार कर रहीं 22 अस्थियां


शिवपुरी मुक्तिधाम में कोरोना काल के अलावा 22 लोगों की अस्थियां पिछले 1 साल से अपनों का इंतजार कर रही हैं। अभी तक कोई भी उन्हें लेने के लिए नहीं आया है। हिंदू रीति-रिवाज के अनुसान मृत्यु होने के बाद तेरहवीं से पहले अस्थियों का विसर्जन जरूरी है।




इन लोगों की अस्थियों को 1 साल से अधिक समय हो चुका है। ऐसे में अब मानवता ग्रुप ने निर्णय लिया है कि इन लोगों की अस्थियों का विसर्जन वे लोग हरिद्वार या सोरोंजी करके आएंगे। हालांकि इनमें कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनका अंतिम संस्कार प्रशासन द्वारा कराया जाता है क्योंकि शव मिलने के बाद कोई स्वजन का पता ही नहीं चल पाता है।


इनका कहना है


यदि कुछ दिन और कोई भी अस्थियां लेने के लिए नहीं आता है तो हम लॉकडाउन खुलने के बाद इसकी सूचना प्रकाशित कराएंगे। इसके बाद भी कोई नहीं आया तो नगर पालिका की टीम जाकर अस्थियों का विधिवत विसर्जन करेगी। हमारे कामगारों ने ही मुख्याग्नि दी है। हमने अंतिम संस्कार कराया है तो अस्थियां विसर्जित कराने का काम भी करेंगे। यह तो पुण्य का काम है।

जीपी भार्गव, सीएमओ


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