ईद एवं अक्षय तृतीया पर्व पर झांसी वासियों ने दोहराया शांति का संदेश



 
झांसी।  उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के महानगर उपाध्यक्ष एवं अंदर सैयर गेट व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंडित संतोष कुमार गौड़ ने अक्षय तृतीया एवं ईद-उल-जुहा के पावन पर्व पर महामंत्री कयूम भाई, महासचिव डॉक्टर महबूब इलाही आदि  व्यापारी साथियों के साथ परशुराम जयंती (अक्षय तृतीया)  एवं ईद-उल-जुहा के पावन पर्व  कोविड महामारी के मद्देनजर घर पर ही संपन्न किया गया जिसमें झांसी के अनेकों व्यापारियों ने दूरसंचार के माध्यम शुभकामनाएं आदान प्रदान कर एकता की मिसाल कायम की और कारोना महामारी को समाप्त करने के लिए भगवान से दुआ प्रार्थना की।
          जिसमें पंडित संतोष कुमार गौड़ ने भगवान परशुराम जी के महत्व से अवगत कराया उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम जी विष्णु के छठे अवतार के जन्मदिवस के रुप में अवतरित होने पर प्रति वर्ष परशुराम जयंती मनाई जाती है। परशुराम जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, परशुराम जी का जन्म प्रदोष काल में तृतीया तिथि में हुआ था। इस दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार परशुराम जी ऐसे अवतार हैं, जो आज भी पृथ्वी पर  हैं। दक्षिण भारत के उडुपी के पास परशुराम जी का बड़ा मंदिर है। कल्कि पुराण के अनुसार, जब कलयुग में भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि अवतरित होंगे, तो परशुराम जी ही उनको अस्त्र-शस्त्र में पारंगत करेंगे। 
   डॉक्टर महबूब इलाही ने सभी को अवगत कराया की ईद-उल-फितर मुस्लिम धर्म का प्रमुख त्यौहार है. ईद का त्यौहार रमजान के पाक महीने के खत्म होने के बाद जब चांद दिखाई देता है तो उसके अगले दिन मनाया जाता है.  यह इस्लामिक कैलेंडर चाँद पर आधारित होता है. मुस्लिम धर्म में चाँद दिखाई देने पर ही ईद या प्रमुख त्यौहार मनाया जाता है.       
        रमजान के पाक महीने का प्रारंभ चाँद दिखाई देने से आरंभ होता है और इसका समापन भी चाँद दिखाई देने के साथ ही होता है. इसीलिए रमजान का पाक माह शुरू होने के 29 या 30 दिन के बाद पुनः चाँद दिखाई देता है. उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है. 
        उसके पश्चात वंदना पांडे ने संचार माध्यम से आभार व्यक्त किया

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