राजनीतिक : ऐसा नहीं कि प्रदेश और केंद्र सरकार का सौ फीसदी अच्छा चल रहा हो और उन्हें उनके काम के लिए 10 में 10 अंक दे दिए जाएं, देश आज महंगाई की मार झेल रहा है, डीजल और पेट्रोल के दाम जब बढ़ना शुरू हुए तो ऐसे हुए कि बढ़ते ही गए और इन बढ़ती कीमतों को कम करने का प्रयास न तो सरकार ने किया और न ही विपक्ष ने अपनी भूमिका निभाई, भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया तो कांग्रेस खुद ब खुद खत्म होने लगी ,जनता के बीच अपना विश्वास खोने लगी और नेतृत्वविहीन राजनीतिक दल की भूमिका में आ गई, यूपीए सरकार में जब कच्चे तेल की कीमत पैसों में भी बढ़ जाती थी तो भाजपा ( तब का विपक्ष ) सड़कों पर गैस सिलेंडर लेकर बैठ जाते तो वहीं सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान खुद साईकल लेकर विधानसभा के लिए निकल पड़ते, विपक्ष की ऐसी सक्रियता थी कि पक्ष को झुकना पड़ता था ।
आज देश के कई हिस्सों को भारतीय जनता पार्टी ने अपने कुशल प्रबंधन से कांग्रेस से मुक्त कर दिया , एन केन प्रकारेण कांग्रेस सत्ता में कुछ राज्यों में लौटी तो आपसी तालमेल नहीं होने के कारण खुद ब खुद सत्ता से बाहर हो गए, आज देश और प्रदेश में शासन की निरंकुशता किसी से छुपी नहीं है, सरकार जहाँ विकास के लिए प्रतिबद्धता दिखाने की कोशिश में है तो वहीं सूबे में अपराध का ग्राफ भी बढ़ रहा है, लेकिन विपक्ष कुम्भकर्ण नींद में सोया हुआ है, राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए विपक्ष का सक्रिय रहने की आवश्यकता है लेकिन अंतर्कलह के चलते कांग्रेस खुद ब खुद समाप्त हो रही है और कांग्रेस के जनाधार वाले नेता पाला बदल रहे हैं जिससे भाजपा कांग्रेस युक्त होती जा रही है । पक्ष को कमजोर करने के लिए विपक्ष का मजबूत होना आवश्यक है लेकिन कांग्रेस इस बात को शायद समय गुजर जाने पर ही समझे ।
