जिनके भी हाथों में आस्था की पूंजी है, उसका पुण्य कभी क्षीण नहीं होता: मुनि सौम्यसागरजी

विदिशा-मुनि  श्रीसौम्य सागर  ज महाराज ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के तीसरे दिन धर्मसभा में कहा कि भक्ति करने से पुण्य बढ़ता है, यह आप सभी ने सुना होगा। लेकिन हम लोग तो देख रहे हैं कि जैसे-जैसे श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान आगे बढ़ रहा है, आप लोगों की भक्ति और उस भक्ति से पुण्य भी बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जैसा आप लोग चाहते हैं वैसा ही हो रहा है। मुट्ठी बंद रखने का समय यानि की आप लोगों ने एकजुट रहने का जो संकल्प था, उसमें आप सभी उत्तीर्ण हो चुके हैं। अब तो समय उस बंद मुट्ठी को खुला करने का है। दोनों हाथों से अपने घर का दृव्य निकालने का है। जिससे आप सभी विदिशा वासियों का संकल्प शीतलधाम का यह समवसरण मंदिर का लक्ष्य पूर्ण हो सके। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में लॉकडाउन में कुछ लोगों ने आपकी आस्थाओं को लूटने का प्रयास किया है। कुछ घटनाएं ऐसी भी घटी कि जिनसे उनकी आस्थाओं में कमी आई है। उन्होंने कहा कि अपनी उस आस्था को शब्दों के जाल से लुटने मत देना। जिनके हाथों में आस्था की पूंजी रहती है। उसका पुण्य कभी क्षीण नही होता।
उन्होंने कहा कि जब-जब भी आपकी आस्था कमजोर नजर आए तो ऐसे श्री सिद्धचक्र महामंडल जैसे विधान को करके अपने पुण्य को बढ़ाते रहना, प्रभु की भक्ति ही दिशा बोध का कार्य करती है।
    संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी

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