बूंदी-जिले के सबसे बड़े तीर्थ अतिशय क्षेत्र शिलाेदय में जैन संत मुनि पुगंव सुधासागरजी महाराज, मुनि महासागर जी महाराज, मुनि निश्कम्प सागर जी महाराज, क्षुल्लक गंभीरसागर जी महाराज, क्षुल्लक धैर्यसागर जी महाराज ससंघ का गुरुवार सुबह शोभायात्रा के साथ मंगल प्रवेश हुआ। मुनि संघ के बूंदी बाईपास से निकलकर अतिशय क्षेत्र शिलाेदय तीर्थ जाने के निर्णय से श्रद्धालुओ में खुशी छा गई।
सैकड़ों श्रद्धालु सुबह से ही बूंदी बाईपास से मुनि संघ के साथ पदविहार करते हुए आगे बढ़ रहे थे। तीर्थ पर दो किलोमीटर पहले से जुलूस के रूप में मुनि संघ को प्रवेश कराया गया। शोभायात्रा में आगे बैंडबाजे, उनके पीछे उत्साह से भरे शिलाेदय नव युवक मड़ल, महिला मंडल का दिव्य घोष, पूजन मड़ल, महिला महासमिति का दिव्यघोष चल रहा था। समाजबंधुओं के बीच मुनि संघ चल रहा था। यहां हुई धर्मसभा के प्रारंभ में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण चवलेश्वर कमेटी के अध्यक्ष प्रकाश कासलीवाल अमोलकचंदजी माडलगड़ व दीप प्रज्ज्वलन कमेटी के अध्यक्ष टीकम जैन, महामंत्री सुनील जैन, सहनिदेशक महेंद्र जैन, नरेंद्र जैन, अशोक जैन ने किया। समारोह का संचालन विजय जैन धुर्रा ने की।
मैं भाग्य की लकीरों को नहीं गिनता मुनि श्री
अपने प्रवचन मैं मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने कहा मै भाग्य की लकीरों को नहीं गिनता, कभी भी कैसा भी दिन आ जाए, भाग्य के भरोसे मत रहना। भाग्य को पूंजी बनाकर छोड़ देना, जो तेरी अर्जी है, वही भगवान की मर्जी है। हर भूल पर-हर चूक पर अपने को धिक्कारना, ये कहना-ये मेरी चूक थी। उन्होंने कहा कि मन पर मुझे गर्व है कि तू पावन और पवित्र है। आंख, कान, पैर तुम पर मुझे गर्व है, तुम पवित्र और पावन हो। अच्छे कार्य करने वाले देव भोगभूमि को प्राप्त कर लेते हैं। (
शिलोदय की इस भूमि ने कैसे-कैसे दिन देखे, अब इसका पुनः भाग्य जागा
सुधासागरजी महाराज ने प्रवचन में कहा कि पाप किया है तो मैं सजा भोगूंगा। अपनी जिंदगी में किसी दिन को बुरा मत कहना, कोसना मत। तुम्हारी जिंदगी में कितना ही बुरा वक्त आ जाए तो कोसना मत। शिलाेदय की इस भूमि ने कैसे-कैसे दिन देखे हैं। अब इसका पुनः भाग्य जागा है। मुनिश्री ने कहा कि महापुरुष काल की कठपुतली बनकर नहीं चलते, वे जो चलते हैं, वही काल बन जाता है। सारे लोग अमावस्या को बुरा मानते हैं। महावीर ने काली अमावस्या को पवित्र और पूज्य बना दिया। कभी भी अपनी जिंदगी में भाग्य का मत खाना, पुरुषार्थ करके कमाकर खाना।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
