मध्यप्रदेश में घरों से लेकर गलियारों तक आशंका के साथ गरमाहट महसूस होती दिखाई दे रही है, सूबे की जनता ने जागरूकता और समझदारी से जिस प्रकार कोरोना की दूसरी लहर को मात दी वो काबिले तारीफ़ थी ,हालांकि इस दौरान कई परिवारों ने अपने परिजनों को खोया था । अब एक बार फिर तीसरी लहर को लेकर मध्यप्रदेश की जनता आशंकित दिखाई दे रही है, स्वास्थ्य विभाग और सरकार दोनों ही सितम्बर और अक्टूबर में संभावित तीसरी लहर के लिए लोगों को जागरूक रहने और सावधानी बरतने की हिदायत दे रहे हैं ।
दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों में उपचुनाव को लेकर न केवल सुगबुगाहट है बल्कि तीन विधानसभा क्षेत्र और एक लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी महसूस भी हो रही है, क्योंकि यहाँ उपचुनाव होना है और इसी को लेकर राजनीतिक दल अपनी ओर से कमर कसने में लगे हुए है । एक सवाल जो उपचुनावों वाले क्षेत्रों के अलावा समूचे प्रदेश में पहेली बनकर चर्चा में है कि मध्यप्रदेश में पहले कौन दस्तक देगा कोरोना की तीसरी लहर या फिर विधानसभा और लोकसभा उपचुनाव । इस बात का कारण साफ है कि यदि उपचुनावों की तारीखों के एलान के साथ ही कोरोना के लिए बने नियमों को सरकार शिथिल कर देती है भले ही तीसरी लहर अपने चर्मोत्कर्ष पर क्यों न हो जैसा कि हमने पहली लहर की दस्तक साथ हुए राजनीतिक उलटफेर के समय भी हुआ और उसके बाद हुए उपचुनावों में किस तरह से कोरोना गाइडलाइन की धज्जियाँ शासन ने उड़ाई और प्रशासन हाथ बाँधे रखा, अभी हाल ही में सरकार ने गणेश स्थापना और ताजिए को लेकर भी दिशा निर्देश जारी कर प्रतीकात्मक रूप से मनाने का आग्रह जनता से किया है वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्रीद्वय ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीरेंद्र खटीक की जनआशीर्वाद यात्रा में सड़कों पर भीड़ ने जनता के लिए घंटो रोड़ जाम रख कोरोना गाइडलाइन को हवा में उड़ा दिया था।
