भोज की माटी को प्रणाम करती हूं अर्हम श्री माताजी

बांसवाड़ा-बाहुबली कॉलोनी में आर्यिका रत्न अर्हम श्री माताजी ने प्रवचन में कहा कि सबसे पहले जन जन को परिचित करा सकूं भोज की माटी को प्रणाम करती हूं जहां चारित्र चक्रवर्ती शांति सागर महाराज जन्मे उस माटी का कण-कण चंदन है। ऐसे आज के दिन चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांति सागर महाराज ने इस भेद विज्ञान की कसौटी पर इस काया को त्याग करके इस काया को छोड़ा था।
आचार्य भगवान वह महापुरुष थे जिन्होंने दिगंबरत्व की पहचान करवाई। जब ऐसे महापुरुष का जन्म होता है तो अशुभ घड़ी भी शुभ हो जाती है। हम सभी के आदर्श हैं जब हम आदर्श को याद करेंगे, तो हम भी आदर्श पूर्ण बनेंगे और जिन को देखो तो मूलाचार झलकता है। जिनकी साधना में नियमानुसार के दर्शन हो जाया करते हैं, जिनके अध्यात्म के चिंतन से समयसार उतरकर आ जाया करता है। ऐसे गुरुवर की आज हम सब मिलकर समाधि दिवस मना रहे हैं। गुरु मां ने बताया दीक्षा लेना तो सरल है लेकिन यावत जीवन का पालन करते हुए यम पूर्वक संल्लेखना लेकर के समाधि मरण करना यह बहुत पुण्य की बात कुलभूषण देश भूषण भगवान को जहां केवल ज्ञान प्राप्त हुआ, उस पवित्र स्थान पर आचार्य भगवन शांति सागर महाराज कुंथल गिरी पर यम संल्लेखना पूर्वक समाधि की, । यह जानकारी चातुर्मास कमेटी के प्रवक्ता महेंद्र कवालिया ने दी।
       संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.