शिवपुरी-ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में आने वाली ये सीट 2008 के बाद से अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. जाटव और खटीक उम्मीदवारों की इस सीट पर पिछले दो विधानसभा चुनावों से कांग्रेस ने कब्जा कर रखा । यहाँ कई मुद्दे हैं जिनके हल होने का इंतजार जनता को हैं और नेता हरबार इन्हीं मुद्दों को भुनाते दिख जाते हैं । शिवपुरी और ग्वालियर जैसे बड़े नगरों के पास होने के बावजूद करैरा विधानसभा क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है । विकास के नाम पर छल होता आया है। करैरा विधानसभा क्षेत्र में विकास के नाम पर भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल का ट्रेनिंग सेंटर मौजूद है, लेकिन इसके बावजूद क्षेत्र का विकास नहीं हो सका है ।
रोजगार के लिए भटकती जनता सरकार की ओर आशा भरी निगाहों से देखती हैं लेकिन देखते देखते आँखे पथरा गई हैं ।देश के अन्य क्षेत्रों की तरह यहां के युवा वर्ग को भी रोजगार की तलाश है ।. बेरोजगारी के कारण क्षेत्र का युवा वोटर लम्बे समय से जनप्रतिनिधियों से नाराज है, क्योंकि यहां के राजनेताओं ने इतने सालों तक राज करने के बावजूद उद्योग धंधों को स्थापित करने पर ध्यान नहीं दिया है । इस क्षेत्र में पानी की समस्या विकराल रूप में है । करैरा विधानसभा क्षेत्र कृषि आधारित क्षेत्र है, . साथ ही लोगों को शुद्ध पेयजल की समस्या का भी सामना करना पड़ता है । स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर तहसील कार्यालय तक, स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार से यहां की जनता परेशान है. इन्हीं वजहों के कारण क्षेत्र का किसान शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहा है. तो वहीं लोग राजनीतिक पार्टियों के झूठे दावों और वादों से भी तंग आ चुके है ।
