बैराड़ : नगर परिषद बैराड़ ने अपना एक कार्यकाल पूरा कर लिया है, अब वहां दूसरी बार चुनाव होना है इससे पूर्व ग्राम पंचायत थी जिसमें बैराड़,भदेरा और कालामढ़ शामिल थी । गाँव से कस्बे में तब्दील होने में बैराड़ को ज्यादा देर नहीं लगी,जैसा कि उसका पुराना नाम है विराट नगर ठीक वैसे ही अपने नाम को चरितार्थ करते हुए बैराड़ नगर विराट ही दिखाई देता है । पिछले आम चुनाव में प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में नगर परिषद बैराड़ में अध्यक्ष पद के लिए सुशीला दौलतराम रावत ने कांग्रेस के टिकिट पर जीत हासिल की थी और उपाध्यक्ष पद पर भाजपा पार्षद युवा नेतृत्व हर्षवर्धन सोनू व्यास काबिज रहे । बीते कार्यकाल में अध्यक्ष विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहीं तो नगर परिषद में भर्तियों से लेकर सफाई के कारण अध्यक्ष मीडिया की सुर्खियों में बनी रही । स्थानीय लोगों के मुताबिक बैराड़ नगर परिषद में भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा,ऐसा कोई बड़ा कार्य नहीं हो सका जिसको लेकर नगर परिषद के प्रथम कार्यकाल को याद किया जाए,वहीं उपाध्यक्ष शिक्षित और युवा होने के कारण लोगों की पसंद रहे लेकिन पूरे कार्यकाल में वे कोई खास काम नही कर पाए उनसे अधिक तो पार्टी की गतिविधियों को लेकर उनके ज्येष्ठ भ्राता सक्रिय रहे ।
कहने को तो तत्कालीन विधायक प्रहलाद भारती के प्रयासों से बैराड़ को तहसील का दर्जा मिला,नगर परिषद बनी, छात्रवास, मंडी प्रांगण, तो बनी ही साथ ही सबसे बड़ी पेयजल आपूर्ति के लिए पचीपुरा पेयजल योजना से नागरिकों को पीने के लिए पानी की सुविधा उपलब्ध हो सकी लेकिन आज भी बैराड़ की गलियां बरसात के समय तालाब बन जाती हैं, कचरे के अम्बार गली चौराहों पर लगे हैं । भाजपा से लेकर कांग्रेस दोनों के लिए ही राह आसान नहीं है क्योंकि बगावत और भितरघात दोनों ही दलों के लिए नुकसानदेह साबित होंगे, पिछली बार भाजपा को अपने ही नेता के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में होने के कारण अध्यक्ष पद गंवाना पड़ा था । इस बार अध्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाना तय हुआ है ऐसे में अध्यक्ष पद के लिए धनबल की आवश्यकता होगी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है, इसके अलावा दावेदारी पेश करने वालों की लंबी फेरिहस्त तो चर्चा में है लेकिन पार्टियां किसे मौका देंगी इसके बाद ही बैराड़ नगर परिषद का राजनीतिक भविष्य तय होगा ।