मुरैना। अवैध खनन और माफिया द्वारा सरकारी कर्मचारियों पर किए जाने वाले हमलों के लिए कुख्यात मुरैना जिले में कोई भी अधिकारी अब आना नहीं चाहता। इसका प्रमाण पिछले दो महीने में दो अधिकारियों की पोस्टिंग और उनका स्थानांतरण कर ले जाने और मेडिकल लीव पर चले जाना है। फिलहाल माइनिंग विभाग में अधिकारियों के नाम पर सिर्फ एक निरीक्षक ही है। ऐसे में कार्यालय और फील्ड दोनों के काम प्रभावित हो रहे हैं।
मुरैना जिले में पत्थर और रेत खनन बड़ा अपराध बनकर उभरा है। यही वजह है कि यहां माइनिंग अधिकारी आने से बच रहे हैं। दो महीने से यहां खनिज अधिकारी का पद खाली है। ऐसा नहीं है कि शासन ने यहां अधकारियों की नियुक्ति ही नहीं की। बल्कि यहां जो अधिकारी नियुक्त किए गए, वे यहां आना ही नहीं चाहते। इतना ही नहीं यहां जो अधिकारी पदस्थ थे, वे धीरे-धीरे अपना स्थानांतरण कहीं और करा ले गए। इसके बाद अब यहां सिर्फ एक निरीक्षक ही नियुक्त है। जिसके भरोसे सारा काम है।
दो अधिकारी पदस्थ हुए, लेकिन नहीं किया ज्वाइन दो महीने पहले तक मुरैना में गोविंद शर्मा खनिज अधिकारी के तौर पर तैनात थे। इनके स्थानांतरण के बाद दो अधिकारियों को शासन ने मुरैना भेजा। इसमें से एक महिला अधिकारी अपना स्थानांतरण निरस्त करवा कर कहीं और चली गईं। इसके बाद जिन अधिकारी को यहां भेजा गया, वे मेडिकल पर चले गए। जिसके चलते यह पद रिक्त पड़ा हुआ है।
दो निरीक्षकों के पद, एक ही मौजूद खनिज अधिकारी के अलावा मुरैना में दो निरीक्षकों के पद हैं। लेकिन इसमें से एक निरीक्षक ही बाकी है। यहां निरीक्षकों की पदस्थापना के मामले में भी यही परेशानी है कि कोई भी यहां आना नहीं चाहता है। यही वजह है कि यहां एक ही निरीक्षक काम कर रहा है। अधिकारियों के न होने की स्थिति में खनिज अधिकारी का चार्ज भी मौजूदा निरीक्षक के पास ही है।