आहारदान सबसे बड़ा दान, इसी से मिलता है मोक्ष: मुनि श्री विश्रांतसागर जी




बूंदी-सिलोर रोड की मधुबन कॉलोनी में चल रहे पंचकल्याणक महोत्सव के छठे दिन बुधवार को आदिमुनि की आहारचर्या हुई। इसमें श्रद्धालुओं ने मुनिश्री को आहार कराया। मुनि श्री  विश्रांतसागर जी  महाराज ने धर्मसभा में कहा कि आहारदान श्रेष्ठ है। सभी दानों में श्रेष्ठ आहारदान है। कोई और दान ना कर सको पर, आहारदान जरूर करना चाहिए। आहारदान करोगे तो आपकाे मोक्ष ही मिलेगी।
स्वयं की सामग्री का दान करना ही सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति आहारदान नहीं करता, वह व्यक्ति घोसले में रह रहे पक्षी के समान है और दान नहीं करने वाला व्यक्ति पतंगा बनता है। दान करने से व्यक्ति का कल्याण होता है। दोपहर में मुनि आदिनाथ का समोशरण सजाया गया और भगवान की दिव्या ध्वनि हुई। केवलज्ञान कल्याणक दिवस में समवशरण पर प्रवचन में मुनिश्री ने कहा कि श्रावक के लिए दान देना और जिनेन्द्र प्रभु की पूजा करना प्रमुख कर्तव्य है। देव शास्त्र गुरु की सदैव सम्मान करना चाहिए। यदि सम्मान नहीं कर सको तो अपमान तो कभी मत करना। इससे पूर्व मुनि ने नवप्रतिमाओं पर केवल्यज्ञान कल्याणक की क्रियाएं की। बुधवार को दर्शनार्थ आए पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने मुनिश्री को श्रीफल भेंट किया। समवशरण का उद्घाटन किया गया।
शहनाज हिंदुस्तानी की काव्य प्रस्तुति
पंचकल्याणक कार्यक्रम के दौरान रात्रि को सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। जिसमें शहनाज हिंदुस्तानी ने अपनी कविताओं से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
           संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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