राजनीतिक हलचल-सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है और हर हाल में सरकार बनाने के लिए तमाम प्रयास किये जा रहे हैं, इसी उद्देश्य से मप्र में कई फेरबदल भी किये गए। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीएम फेस की मांग को दरकिनार करते हुए कमलनाथ को कांग्रेस की कमान सौंप दी,लेकिन अब एक बार फिर सीएम कैंडिडेट घोषित करने की मांग को बल मिला है। कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने पर भी पार्टी में गुटबाजी ख़त्म न होना बड़ा कारण बताया जा रहा है| वहीं इन तीन महीनों में जिला स्तर भी पार्टी मजबूत नहीं हो पाई है| जिसके चलते एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम चेहरा घोषित करने की मांग तेज हो गई है| वहीं सूत्रों की माने तो सिंधिया की लोकप्रियता के चलते उन्हें सीएम कैंडिडेट घोषित किया जा सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कमलनाथ उतना असर नहीं छोड़ पाए हैं, जिसकी हाईकमान को उम्मीद थी। इसी कारण सिंधिया को चुनाव में आगे कर पार्टी रफ़्तार लानी चाहती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने लोकप्रियता के हिसाब से सिंधिया फिट बैठ रहे हैं । राहुल गांधी तक पहुंची एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है, जिसमे कहा गया है| कमलनाथ के काम को लेकर तैयारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह नहीं है, जबकि चुनाव नजदीक है और भाजपा जोर शोर से मैदान उतर चुकी है| रिपोर्ट में शिवराज की जनआशीर्वाद यात्रा का भी जिक्र है और सिंधिया ही शिवराज को सीधी टक्कर दे सकते हैं। कमलनाथ पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और गुटबाजी समाप्त करने में पूरी तरह सफल नही हो पाए। वही दूसरी तरफ सिंधिया राहुल की उम्मीदों पर खरे उतरे है। फिलहाल मप्र की राजनीति में सिंधिया कमलनाथ से ज्यादा फेमस है और लोगों के दिल में सीएम पद की छवि बनाने में कामयाब हो रहे है। चुंकी सिंधिया युवा है और युवाओं की पहली पसंद बने हुए है, वही सोशल मीडिया पर भी सिंधिया छाये हुए है। ऐसे में सिंधिया को चेहरा घोषित किया जा सकता है।
अपनी चौथी पारी के लिए मुख्यमंत्री शिवराज जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे हैं। सीएम पूरे प्रदेश में यात्रा के माध्यम से पहुंच रहे है और जनता को अपनी घोषणाओं और योजनाओं की उपलब्धियों का बखान कर बता रहे है। ऐसे में सिंधिया भी मोर्चा संभाले हुए है और बैठके,सभाओं और यात्राओं के द्वारा जिले-जिले, गावं-गांव घूम रहे है और पार्टी को वोट देने और भाजपा की विदाई की बात कह रहे है। हालांकि लोग सिंधिया की बात से सहमत हो रहे है और भाजपा को बाहर फेंकने की कसम खा रहे है। सिंधिया की सभाओं में जमकर भीड़ उमड़ रही है। वही सोशल मीडिया पर भी वे एक्टिव बने हुए है, लोगों से लाइव चर्चा कर रहे है, समस्या सुन रहे और उनका समाधान कर रहे है। दूसरी तरफ कमलनाथ सिर्फ भोपाल तक ही सीमित बने हुए है। जमीनी स्तर पर अभी तक माहौल तैयार नहीं कर पाए हैं| बीते तीन महिनों में प्रदेशाध्यक्ष का पद संभालने के बाद भी पार्टी में एक्टिवनेस नही आई है, जमीनी स्तर पर कांग्रेस अब भी भाजपा के सामने पिछड़ी हुई है। वही मीडिया प्रभारी बदले जाने और प्रवक्ता के बदले जाने पर भी कोई असर नही देखा गया है। इसके अलावा दीपक बावरिया को प्रदेश प्रभारी नियुक्त किए जाने और अरुण को हटाए जाने क बावजूद राजनैतिक स्तर में कोई खास बदलाव नही देखा गया है।
रिपोर्ट बताती है कि अभी भी कांग्रेस की जमीनी जड़े कमजोर है, गुटबाजी समय समय पर उभर कर सामने आ रही है, हर कोई अपनी अपनी ढपली से अपना अपना राग अलाप रहा है। ऐसे में अगर कमलनाथ को सीएम कैंडिडेट घोषित किया जाता है तो बाकी राज्यों की तरह एक बार फिर मध्यप्रदेश कांग्रेस के हाथों से चला जाएगा, वही अगर इसकी कमान सिंधिया को दी जाती है तो चुनाव से पहले अच्छा माहौल तैयार किया जा सकता है। सिंधिया राहुल के करीबी माने जाते हैं, और लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक हैं। ऐसे में उनकी अहम जरूरत दिल्ली में भी है। लोकसभा में मजबूती के साथ कांग्रेस पार्टी की बात रखने वालों में से वे एक है। लेकिन मध्य प्रदेश में सिंधिया के अलावा पार्टी के पास कोई और ऑप्शन नही है| हालांकि चुनाव से पहले चेहरा घोषित करने की परंपरा नहीं रही है| लेकिन जिस तरह के मप्र में हालात है और मांग उठ रही है इसके चलते पार्टी सिंधिया को सीएम कैंडिडेट घोषित कर सकती