राजनीतिक हलचल-मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार 15 साल से है और खुद शिव यहाँ त्रिकाली हैं । इतना ही नहीं वे चौथी पारी के लिए जन जन से आशीर्वाद लेने हर विधानसभा साधना के साथ पहुँच रहे हैं । अपने कामों से जनता के दिल मे घर बनाने वाले शिवराज की चौथी पारी इतनी आसान नहीं है । जहाँ एक ओर विपक्ष मजबूती से मैदान में है तो वहीं अपने ही घर में उनको विरोध सहना पड़ सकता है
इन 15 सालों के अलावा पहले भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही है लेकिन मध्यप्रदेश में एक विधानसभा ऐसी भी है जहाँ 2013 तक भाजपा अपना खाता नहीं खोल सकी जबकि जनता दल से लेकर हाथ और हाथी सबने सत्ता का सुख जनता के आशीर्वाद से भोग लिया । लेकिन 2013 में भारतीय जनता पार्टी ने यहाँ से अपनी जीत दर्ज की और सूबेदार सिंह रजौधा विधायक बने । हालांकि जीत का अंतर बहुत ही कम था लेकिन जीत तो जीत ही होती है । 2008 में बसपा के मनीराम धाकड़ विधायक रहे तो 2013 में कांग्रेस के बनवारीलाल शर्मा दूसरे स्थान रहे और मनीराम धाकड़ को तीसरे स्थान पर रहकर संतोष करना पड़ा ।
मध्यप्रदेश में बसपा से गठबंधन होने की खबर की पुष्टि होती है तो जौरा में भी बसपा या कांग्रेस का साझा प्रत्याशी होगा यानी कि यदि हाथी को हाथ का साथ मिले या फिर हाथी हाथ मे आ जाये तो कमल मुरझा सकता है ।