भोपाल-पदोन्नति में आरक्षण मामले में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है| पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने शुक्रवार को पदोन्नति में आरक्षण के मामले पर सुनवाई की। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना सही है या गलत इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन यह तबका 1000 से अधिक सालों से झेल रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी| तब सभी पक्षों के वकील पदोन्नति में आरक्षण मामले में अपना अपना पक्ष रखेंगे, दिन भर चलने वाली बहस के दौरान संवैधानिक पीठ अपना फैसला ले सकती है| शुक्रवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में गठित संविधान पीठ ने करीब डेढ़ घंटे मामले को सुना। पीठ ने पहले सरकार का पक्ष सुना और फिर करीब 20 मिनट सपाक्स के वकीलों ने दलीलें सुनीं।
सुनवाई के दौरान केके वेणुगोपाल ने कहा कि 2006 के नागराज जजमेंट के चलते SC-ST एम्प्लाइज के लिए प्रमोशन में रिजर्वेशन रुक गया है इसलिए 2006 के फैसले के पुनर्विचार की तत्काल जरूरत है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सरकार से पूछा कि सरकार ने SC-ST के प्रतिनिधित्व के आंकड़े अब तक क्यों नहीं इकट्ठे किए। इस पर केंद्र सरकार ने कहा, क्योंकि डेटा हमेशा ऊपर नीचे होता रहता है, नौकरी के दौरान लोग रिटायर होते हैं, मरते हैं. खाली पदों को भरना एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है| केंद्र सरकार की तरफ से बहस पूरी हो गई है| केंद्र सरकार ने मांग कि 12 साल पुराने नागराज फ़ैसले को सात जजों की संविधान पीठ के पास पुनर्विचार के लिए भेजा जाना चाहिए| अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इन्हें विशेष मौके देना ज़रूरी है। 100 में से 23 प्रमोशन इन्हें मिले। उच्च पदों पर इनका उचित प्रतिनिधित्व होना जरुरी है।
16 अगस्त को दिन भर चलेगी सुनवाई -चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं। मामले पर अधिकांश समय तक वेणुगोपाल तर्क करते रहे जिसके चलते श्री धवन सहित अन्य वकील को बहस के लिए समय नहीं मिल सका| करीब 20 मिनट सपाक्स के वकीलों की दलीलें सुनीं, अब इस मामले पर 16 अगस्त को पूरे दिन सुनवाई चलेगी|
कर्मचारियों को निराकरण की उम्मीद -पीठ एम नागराज प्रकरण में अनुसूचित जाति, जनजाति के पिछड़ेपन से संबंधित शर्त पर पुनर्विचार करेगी। मप्र हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्नति पर सवा दो साल से रोक लगी है। नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने यह मामला संविधान पीठ को स्थानांतरित कर दिया था। इसके बाद से कर्मचारी मायूस थे। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर फिर से सुनवाई शुरू हो चुकी है| इससे कर्मचारियों में जल्द मामले का निराकरण होने की उम्मीद जागी है। अनारक्षित वर्ग की ओर से यह मामला 'सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संघ (सपाक्स) कोर्ट में लड़ रहा है।
एक साथ होगी सुनवाई-मप्र, बिहार और त्रिपुरा के मामलों की संयुक्त सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने एम. नागराज प्रकरण पर आए कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की थी। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति के पिछड़ेपन से संबंधित शर्त को लेकर आपत्ति की जा रही थी। संविधान पीठ इसी को सुनकर फैसला सुनाएगी। इसके आधार पर सभी 42 मामलों में फैसला आएगा।