शिवपुरी। ओरछा, टीकमगढ़, मप्र में स्थित श्रीराम राजा सरकार मंदिर के पट समय से दो घंटे पूर्व खोले जाने के समय में परिवर्तन कलेक्टर अजीत अग्रवाल के आदेश के बाद किया गया था। कलेक्टर के इस आदेश को माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के अधिवक्ता के माध्यम से सीताराम मंदिर के पीछे निवासरत श्रीमती दीपिका शर्मा पत्नी संदीप शर्मा शिवपुरी ने चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय खण्डपीठ जबलपुर मप्र में पिटीशन दायर की थी। श्रीमती शर्मा ने फोन पर बताया कि पिटीशन दायर करने के 36 घंटे बाद ही कलेक्टर ने अपना आदेश वापस ले लिया। इसके बाद दीपिका शर्मा ने अपनी पिटीशन वापस ले ली।
दीपिका शर्मा का तर्क है कि मंदिरों के प्राचीन स्वरूप को नष्ट करना, मंदिरों की प्राचीन परंपराएं जो आदिकाल से चली आ रही हैं उनमें संशोधन करना मानव जाति द्वारा संभव नहीं है और न ही करना चाहिए, बल्कि मंदिरों में साफ-सफाई आसपास के भूमि भवन आदि की साफ-सफाई सुद्धता, पवित्रता, मर्यादा तथा अनुशासन तथा सुरक्षा का ध्यान आम नागरिकों व दर्शनार्थियों तथा सरकार को रखना चाहिए। प्राचीयन मान्यताओं को मानते हुए उनका पूर्ण पालन करना चाहिए। जैसे दक्षिण में तिरूपति बालाजी मंदिर पर अरबों की संपत्ति सोना चांदी हीरे जेवरात आदि शिखर स्वर्ण का है, भगवान तिरूपति की प्रतिमा के दर्शन दीपक की रोशन में ही कराना, जबकि करोड़ों की एलईडी लाइटें मंदिर प्रांगण में लगी हुई है, परंतु परंपराओं का आज भी निर्वहन किया जा रहा है। ऐसे ही श्रीराम राजा सरकार ओरछा मंदिर का पट खोलने का समय राजा के होने के नाते समय 7 बजे आदिकाल से प्राचीन समय निर्धारित है उसे बदलने का दुस्साहस प्रशासन व सरकार को नहीं करना चाहिए। गर्भ गृहों मंदिरों से छेड़छाड़, मुरतियों का दिशा परिवर्तन इधर उधर रखने की बजह सरकार को व्यवस्थाएं एवं कानून उसके अनुरूप बनानी चाहिए। जिससे समय दिशा, मर्यादा अनुशासन, स्वच्छ शुद्धता, पवित्रता, सेवापूजा, सुरक्षा से खिलवाड़ या बदलाव अपने निहितों हेतु दर्शनार्थियों के सुविधा के नाम पर बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। भगवान हमसे नहंी है हम भगवान से हैं। इस भावना को सरकार को भी रखना चाहिए।
दीपिका शर्मा ने फोन पर बताया कि मैंने माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ जबलपुर से पिटीशन वापसी की कार्रवाई कर दी है, जब भगवान ने प्रशासन एवं सरकार को सद्बुद्धि दे दी है। पुन: समय पर कपाट खुलने का निर्णय रामराजा सरकार का है। हम सभी को उसका पालन एवं स्वागत करना चाहिए, परंतु इतना बताना चाहती हूं कि प्राचीन परंपराओं मंदिरों या किसी भी धर्मों के पूजा स्थलों, गर्भ गृहों समय परिवर्तन, मर्यादा अनुशासन एवं सुरक्षा स्वच्छता, शुद्धता, पवित्रता, सेवापूजा, सुरक्षा, साफ-सफाई, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, कचड़े के डस्टविन एवं मंदिर में चढ़ने वाले फूल मालाएं पूजा की चढ़ने वाली सामग्री की विसर्जित करने की व्यवस्था प्रशासन एवं सरकार को करनी चाहिए।