इंदौर। मालवा अंचल का दिल इंदौर आखिर शिवराज का दिल नहीं जीत पाया। केबिनेट के कई दौर के विस्तार के बाद भी यहां से प्रदेश को मंत्री नहीं मिला। इससे इंदौर तो जहां खाली हाथ रहा, वहीं वह प्रदेश की जनता की सेवा भी नहीं कर पाया। अपने पोहे के लिए मशहूर इंदौर को मिनी मुंबई भी कहा जाता है। यहां का मौसम खुशनुमा है। कहते है इंदौरी दूसरी जगह से आये लोगों को अपने अपनेमन के कारण जल्द ही अपना लेते है। वैसे तो इंदौर भाजपा का गढ़ है। परंतु पिछले चुनावों में कांग्रेस ने भी अच्छा खासा वोट बैंक अपना यहां बना लिया है। इंदौर की दो सीटों पर कांग्रेस अपना कब्जा बनाने में कामयाब रही थी। बाकी सभी सीटों पर कमल खिला था।इंदौर को भाजपा के शेर के लिए भी जाना जाता है। इसे भाजपा के शेर राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का अबूझ किला भी कहते है। मालवा अंचल में इनका एक क्षत्रप राज रहता है। जनता के दिलों में कैलाश बसते है। परंतु इंदौर से मध्यप्रदेश को कैलाश के राष्ट्रीय राजनीति में जाने के बाद मंत्री ही नहीं मिल पाया। सरकार के आखिरी विस्तार के दौरान उम्मीद थी कि इंदौर से मंत्री मिलेगा। परंतु फिर यह धूमिल हो गया। शिवराज के इस कार्यकाल में इंदौर खाली हाथ रह गया।वैसे पिछले दिनों इस मुददे के पकड़े तूल ने कैलाश जी की एक लाइन ने पूर्णविराम लगा दिया था। कैलाश जी ने कहा था कि शिवराज जी के होते इंदौर से मंत्री की जरूरत नहीं, वह ही हमारे नेता है। इंदौर का क्या भला होना है वह शिवराज जी ही बेहतर समझते है। कैलाश जी के इस बयान के बाद मामला शांत हो गया था। हालांकि सरकार अब चुनावी मोड़ में जा चुकी है और अब यह मामला फिर उछाली मार सकता है, क्योंकि इंदौर शिवराज का दिल नहीं जीत पाया। यहां यह भी बता दें कि इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन लोकसभा स्पीकर है। वैसे इंदौर ताई और भाई के नाम से भी मशहूर है।
इंदौर नहीं जीत पाया शिवराज का दिल
0
Monday, August 13, 2018
Tags