*भाजापा का दोहरा चरित्र उजागर......?*

विजय रघुवंशी विद्रोही-देशभर में राजनीतिक पार्टियां विकास के मुद्दे को छोड़कर अब जातिवाद के मुद्दों पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रही है..? sc/st एक्ट संशोधन विधेयक पर देशभर में भारी हंगामा है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और दिशा निर्देश के अनुसार जो संशोधन किया गया था! उसको लेकर दलित संगठनों ने जो बवंडर मचाया क्या वह संविधान के अनुसार था...? किंतु उस आंदोलन में कोई भी बड़ी कार्यवाही नहीं की गई..? क्योंकि वह इन पार्टियों के लिए और खासतौर से भाजपा के लिए वोट बैंक नजर आ रहा था..? वंही केंद्र सरकार राम मंदिर मुद्दे पर कहती है सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आएगा उसके अनुसार अगला कदम बढ़ाया जाएगा और वहीं एससी/एसटी एक्ट मामले में जब सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन बनाई और दिशा निर्देश दिए तो उसके खिलाफ विधेयक लाने के लिए भाजपा एड़ी चोटी का जोर लगा रही है! क्योंकि उसे दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में रखना है..? वही इस मुद्दे को लेकर सामान्य जाति के लोगों में काफी नाराजगी है! क्योंकि एससी/एसटी एक्ट के कारण सबसे ज्यादा मानसिक रूप से परेशान सामान्य जाति का व्यक्ति ही रहता है! क्योंकि यह एक्ट लोगों को झूठा फंसाने के लिए सबसे अधिक उपयोग किया जाता है..?जिस कारण से कई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं!क्या सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए देश में जाति का खेल खेला जा रहा है..? क्या यह देश हित में है..? आखिर देश के वह मुद्दे समानता का अधिकार.. समान शिक्षा का अधिकार आखिर इन पर राजनीतिक पार्टियां और भारतीय जनता पार्टी चर्चा क्यों नहीं करती! इस देश में कुछ लोगों को विशेष अधिकार और कुछ लोगों को अधिकार विहिन किया जाना कहां तक उचित है...? राजनीतिक पार्टियां और केंद्र सरकार में बैठी भारतीय जनता पार्टी सिर्फ अपने राजनीतिक हित साधने के लिए और वोट बैंक की राजनीति के लिए इस देश को जातिगत आग में धकेल रही है...? लोगों के बीच गहरी खाई पैदा कर रही है...? अगर किसी कानून में खामियां हैं और उस को सुधारा जा रहा है तो इस पर राजनीतिक पार्टियों को अपनी रोटी सेकने की क्या जरूरत है..? ऐसा ना हो अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को यह मुद्दा भारी पड़ जाए और सामान्य जाति के लोग इसके विरोध में खड़े नजर आएं..?👍🏻

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